तनाव: शारीरिक पक्ष एवं समाधान
स्वागत है आपका संप्रभा के ब्लॉग पर, आज हम चर्चा करने जा रहे हैं: तनाव के शारीरिक पक्ष के बारे में।
जैसा की सर्वविदित है कि मानसिक तनाव बहुत-सी शारीरिक परेशानियों को जन्म देता है। तनाव अधिक होने पर सामान्य जुकाम-बुखार से लेकर हृदयाघातों का ख़तरा बढ़ जाता है। तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है। तनाव मनुष्य को निष्क्रिय बना देता है।(Kolehmainen & Sinha, 2015).
विभिन्न शोधों से इस सन्दर्भ में दो बातें स्पष्ट होती हैं:
१. शारीरिक गतिवधियाँ तनाव को ख़त्म करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।
२. तनाव सक्रिय शारीरिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न करता है।
अतः तनाव के समुचित प्रबंधन के लिए केवल शारीरिक गतिविधियाँ पर्याप्त नहीं है। हमें कुछ ऐसा करना होगा कि तनाव किसी अन्य क्रियाविधि द्वारा भी कम हो।
इसके लिए विभिन्न यौगिक क्रियाओं का सहारा लिया जा सकता है। ये यौगिक क्रियाएं जैव-रासायनिक रूप से हमारी मानसिक संरचना को प्रभावित करती हैं जिससे तनाव कम होता है। यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि योग केवल शारीरिक क्रिया नहीं है बल्कि इसमें ध्यान की क्रिया भी सम्मिलित होती है जिससे सकारात्मकता का विकास भी होता है। कुछ यौगिक क्रियाएं जो की जा सकती हैं, वह हैं: सुखासन, उत्तानासन, प्रसारिता पादोत्तानासन, वज्रासन, गरुड़ासन, हलासन, शवासन आदि। इनके अभ्यास का लिंक नीचे दिया जा रहा है:
Yoga for Inner Peace: A Stress Relieving Sequence
सन्दर्भ:
१. Stults-Kolehmainen, M. A., & Sinha, R. (2014). The effects of stress on physical activity and exercise. Sports medicine (Auckland, N.Z.), 44(1), 81–121. https://doi.org/10.1007/s40279-013-0090-5
२. Yoga Journal
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