बेरोजगारी उन्मूलन में सरकार से अपेक्षाएं

नमस्कार दोस्तों आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है सकारात्मकता के संरक्षक एवं प्रसारक समूह संप्रभा के ब्लॉग पर।

आज हम बात करने जा रहे हैं कि किस प्रकार  सरकार के सकारात्मक और नियोजित प्रयासों से भारत के बेरोजगारों के लिए अवसर सृजित किए जा सकते हैं तथा उनके जीवन में खुशहाली स्थापित की जा सकती हैं-

1) सरकार सबसे पहले सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए वार्षिक कैलेंडर निर्धारित करें एवं इसकी शत-प्रतिशत अनुपालना सुनिश्चित की जाए।

2) भारत के विद्यालयों में क्रियात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए अधिक प्रयासों की अपेक्षा है अतः सरकार नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सुचारू क्रियान्वयन के लिए आवश्यक निर्देश जारी करें एवं समय-समय पर इसकी समीक्षा के प्रावधान भी किए जाएं ताकि भारत का विद्यार्थी रटने की बजाय कौशल ग्रहण करने पर अधिक बल दे और अपनी आजीविका प्राप्त करने के लिए असहाय सा नजर ना आए।

3) भारत खनिजों की दृष्टि से एक संपन्न देश है लेकिन अभी भी हम कच्चा माल सस्ती दरों पर विदेशों को भेजते हैं और वहां से आयात किया गया तैयार माल हमें आसमान छूने वाली दरों पर मिलता है इसके समाधान हेतु पूर्व भारतीय राष्ट्रपति भारत रत्न श्री अब्दुल कलाम साहब ने भी कहा है कि हम अपने खनिजों की मूल्यवृद्धि अपने देश में ही करें और आत्मनिर्भरता बढ़ाएं ऐसे में हमें शीघ्र ही इस सपने को धरातल पर लाने के प्रयास करने चाहिए तथा सरकार भी विदेशों से आयात किए गए सामान की मात्रा कम करने के यथासंभव प्रयास करें ताकि देश के युवाओं को देश के लिए उत्पादन में रोजगार मिल सके

4) देश में सरकारी उद्योगों की संख्या में वृद्धि की जाए क्योंकि निजी उद्योगों में बढ़ते मशीनीकरण और अधिक लाभ के लालच से हमेशा कर्मचारियों की नौकरी पर खतरे की घंटी बजती रहती है।

5) हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अर्थात मीडिया भी राजनेताओं और तमाम लोगों के साथ बेरोजगारी जैसी विकराल समस्या पर चर्चा करने के लिए प्रतिबद्ध रहे।

6) योजनाओं को लंबे समय तक क्रियान्वित किया जाए अर्थात देश के युवा के हित में एक सरकार द्वारा चलाई गई अच्छी योजना को दूसरी सरकार द्वारा भी राजनीतिक द्वेष से परे जारी रखा जाए इससे स्थायित्व एवं प्रगति की संभावनाएं अधिक होती है।

7) राजनीति में सत्ता पक्ष और विपक्ष का ध्यान रोजगार की स्थिति पर हमेशा बना रहे राजनीतिक पार्टियों को ना केवल घोषणा पत्र अपितु अपने कार्यकाल में भी रोजगार की स्थिति बेहतर करने के प्रयास करने चाहिए।


इस प्रकार हम कह सकते हैं कि देश से बेरोजगारी को दूर करने में हमें एकीकृत प्रयासों की आवश्यकता होगी लेकिन इसमें सरकार की भूमिका आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य भी है।

आवश्यकता यह है कि सत्ता के गलियारों में देश के युवा को रोजगार प्रदान करने की चर्चा अविरल रूप से होनी चाहिए तथा इसके लिए समुचित प्रयास भी किए जाने चाहिए।

धन्यवाद

लेखक:-RAJENDRA MINA




Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

मैं ही आदिवासी हूं, आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपराओं पर कविता

वे क्षेत्र जिनमें प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल समाप्त किया जा सकता है

रुकना नहीं है साथी तुझको पार समंदर जाना है