नवीन आशा दीप्ति - हमारी नई शिक्षा नीति

 शिक्षा जीवन का आधार है। समाज और देश के विकास में शिक्षा की अहम भूमिका है। अतः जीवन में शिक्षा के महत्त्व को देखते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्तमान सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक बदलावों के लिए नई शिक्षा नीति को मंज़ूरी दे दी है। नई शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य विद्यार्थियों में निहित क्षमताओं को सामने लाना है।

• 34 वर्षों बाद अब हमारे सामने एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति सामने आई है जो 1968 एवं 1986 के बाद तीसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति है।

• इसरो के प्रमुख रह चुके डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति का 2017 में गठन किया गया और इसी समिति ने 'नई शिक्षा नीति 2020' का खाका तैयार किया है।

• राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मंत्रालय के नाम के परिवर्तन का सुझाव दिया है। पहले इसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नाम से जाना जाता था अब इसे शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा।

• 'नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति' में शिक्षा में जीडीपी के 6% निवेश का लक्ष्य रखा गया है।

• 10+2 के पैटर्न को बदलकर 5+3+3+4 पैटर्न का सुझाव दिया गया है।

• नवीन पैटर्न में स्कूली शिक्षा के प्रथम पाँच वर्ष (आयु 3-8 वर्ष) फाउंडेशनल स्टेज, उसके बाद तीन वर्ष प्रिपॅरेटरी स्टेज (आयु 8-11 वर्ष), अगले तीन वर्ष मिडिल स्कूल(आयु 11-14 वर्ष), तथा अंतिम 4 वर्ष सेकेंडरी स्टेज (आयु 14-18 वर्ष) के लिए प्रस्तावित हैं।

• उच्च शिक्षा में पहली बार मल्टीपल एंट्री एवं एग्ज़िट सिस्टम को लागू किया जाना है। (मल्टीपल एंट्री एवं एग्ज़िट सिस्टम: विद्यार्थी 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में पाठ्यक्रम को बीच में छोड़ सकेंगे उन्हें उसी रूप में डिग्री या प्रमाण पत्र प्राप्त होंगे) एक वर्ष बाद प्रमाण पत्र, दो वर्ष बाद डिप्लोमा, तीन वर्ष बाद स्नातक डिग्री, 4 वर्ष पर्यंत शोध के साथ स्नातक डिग्री प्राप्त होगी।

• एम. फिल को समाप्त किया गया चार साल की स्नातक डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थी एक साल में एम. ए. करके सीधे पी. एचडी. कर सकेंगे।

• देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।

• देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए एक कॉमन एंट्रेन्स एग्जाम होगा। 

• टॉप ग्लोबल रेंकिग रखने वाली यूनिवर्सिटीज को भारत में अपनी ब्रांच खोलने की अनुमति दी जाएगी।

• अनुसंधान संस्कृति एवं अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (National Research Foundation) की स्थापना की जाएगी।

• UGC, AICTE, NCTE के स्थान पर अब एक निकाय के रूप में भारतीय उच्च शिक्षा आयोग का गठन किया जाएगा। (चिकित्सा एवं क़ानूनी शिक्षा को छोड़कर)

*नई शिक्षा नीति से शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन -

• अंतरराष्ट्रीय विश्विद्यालयों में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया गया।

• शिक्षा के के क्षेत्र में जी.डी.पी. का 6% खर्च, शिक्षा विकास की ओर अग्रसर।

• उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटें जोड़कर विद्यार्थियों के लिए नये अवसरों में वृद्धि की गयी है।

• संस्कृत और नई-प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प होने से विद्यार्थियों पर भाषा चयन की बाध्यता को कम किया गया है।

• शिक्षा के क्षेत्र में समग्र दृष्टिकोण का विकास किया गया है।

निष्कर्ष रूप में ये कहा जा सकता है कि भारत का स्वयं विश्वगुरु बनने का सपना पूर्ण होने की दिशा में 'नई शिक्षा नीति 2020' एक महत्त्वपूर्ण कदम है। विद्यार्थियों में देश का भविष्य देखा जाता है, उनके विकास के लिए शिक्षा स्तर को बढ़ाना  एवं आसान पहुँच आवश्यक है। अतः शिक्षा के क्षेत्र में नवीन एवं सर्वांगीण परिवर्तन सभी विद्यार्थियों की आंतरिक क्षमताओं को उजागर करेगा तथा सफलता के उच्च शिखर तक पहुँचाएगा।

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