प्रकृति की समायोजन क्षमता
प्रकृति के पास समायोजन की सबसे बेहतर क्षमता है ।मौजूदा दौर मुश्किल से भरा है हर कोई इससे परेशान है बाहर निकलना चाहता है इस मुश्किल से। इस दौर में भी हमें यहां दो पक्ष दिखाई देते हैं एक इस महामारी का सकारात्मक पक्ष और दूसरा इसका नकारात्मक पक्ष नकारात्मक पक्ष से सभी वाकिफ हैं कि दुनिया भर में हजारों की संख्या में मौतें हो रही हैं पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था औंधे मुंह गिरी है हर देश लगभग बंद हो गया है इसी दौरान कोरोना का एक सकारात्मक पक्ष भी दिखाई दिया जो प्रकृति में दृष्टिगोचर हुआ कोरोना के मौजूदा वक्त में सभी लोग घरों में बंद है तो कई शहरों से ऐसी तस्वीरें आई जिनमें जंगली जानवर सड़कों पर स्वच्छंद विचरण करते दिखाई दिए जो प्रकृति प्रेमियों को एक सुकून देने वाला दृश्य था। मौजूदा दौर में किए गए कई अध्ययनों में यह सामने आया की उद्योगों, हवाई उड़ानों और सतही आवाजाही के बंद हो जाने के कारण पृथ्वी की ऊपरी सतह पर कंपन कम हो गई है जो आम दिनों में बहुत ज्यादा होती है । जाहिर है कि यह स्पष्ट संकेत है कि प्रकृति अपना समायोजन कर रही है जिस तरह हम लोक डाउन के माध्यम से खुद को कोरोना जैसी महामारी से बचा रहे हैं उसी तरह कोरोना के द्वारा प्रकृति स्वयं को बचा रही है । प्रकृति के लिए मानव किसी जानलेवा वायरस से कम नहीं है खैर यह रही प्रकृति की बात लेकिन जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की कोरोना के बाद दुनिया पहले जैसी नहीं रहेगी लेकिन दुनिया में क्या बदलाव होंगे यह स्पष्ट नहीं है इस बात को हम वक्त पर छोड़ दें तो ही अच्छा है।
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