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भारतीय बैंकिंग क्षेत्र: चुनौतियाँ एवं अवसर

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बैंक  बैंक उस वित्तीय संस्था को कहते हैं जो जनता की जमाएँ स्वीकार करता है और जनता को ऋण देने का काम करता है। लोग अपनी-अपनी बचतों को सुरक्षा की दृष्टि से अथवा ब्याज कमाने हेतु इन संस्थाओं में जमा करते हैं और आवश्यकतानुसार समय-समय पर निकालते रहते हैं। बैंक इस प्रकार जमा से प्राप्त राशि को व्यापारियों एवं व्यवसायियों को ऋण देकर ब्याज कमाते हैं। आर्थिक आयोजन के वर्तमान युग में कृषि उद्योग एवं व्यापार के विकास के लिए बैंक एवं बैंकिंग व्यवस्था एक अनिवार्य आवश्यकता मानी जाती है। राशि जमा रखने तथा ऋण प्रदान करने के अतिरिक्त बैंक अन्य काम भी करते हैं। जैसे सुरक्षा के लिए लोगों से उनके आभूषण एवं बहुमूल्य वस्तुएँ जमा रखना, अपने ग्राहकों के लिए उनके चैक्स का संग्रहण करना, व्यापारिक बिलों की कटौती करना, एजेंसी का काम करना। अतः बैंक केवल मुद्रा  लेन-देन ही नहीं करते अपितु साख का व्यवहार भी करते हैं। इसलिए बैंक को साख का सृजनकर्ता भी कहा जाता है। भारतीय बैंकिंग कंपनी कानून 1949 के अनुसार - "ऋण देना और विनियोग के लिए सामान्य जनता से राशि जमा करना तथा चैकों, ड्राफ्टों तथा आदेशों द्वारा माँगने पर उ