कोरोना काल में समाज में कुछ सकारात्मक प्रभाव
कोरोना महामारी पूरे विश्व के लिए अत्यंत भयावह और घातक सिद्ध हुई है , परन्तु जैसा कि सर्वविदित है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं , अंतर केवल नज़रिये का है। इस कोरोना महामारी के समय हमें समाज में कुछ ऐसे सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले जो शायद सामान्य परिस्थितियों में सम्भव ना हो पाते और जो हमारे लिए अत्यंत अनुकरणीय हैं । उन्ही परिवर्तनों को दर्शाने का एक प्रयास है यह कविता - कोरोना के काल में मिलती है कुछ सीख सकारात्मक बन के रहो मिलेगी तब ही जीत कोरोना के काल में हुई अनोखी बात रामायण जो बंद पड़ी हुई उसकी भी शुरुआत बच्चे ,बूढ़े और जवान करते सब ही बात रामायण ने कर दिया सब अपनों को साथ बच्चों में भी संस्कार की हुई पुनः बरसात घरवालों को कहने लगे मातृ पितृ और भ्रातृ महाभारत भी खूब चली रामायण के साथ फिर से हमने देख ली पासों की शह मात देकर ज्ञान फिर गीता का कृष्ण ने रख दी बात कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु तात धीरे धीरे चल पड़ा कोरोना का खेल पर घर बैठे मिल गए सबके दिल के मेल पंछी सब...