Posts

Showing posts with the label Positivity with Samprabha

How Guardians Can Play an Important Role in Academic Integrity

Image
Introduction Academic Integrity generally means the adoption of honest practices in the academic world. The term holds importance for elementary school students to research students. Education, in general, aims at the overall development of the students. It aims at enlightening them in a manner that helps them throughout their life. Developing a sense of integrity is also part of it.  Educational Institutes have to play their vital role here. But, when we go deep into defining the scope of the education system, we find parents or guardians a part of it. Education in an informal way starts at home. The development of ethical and moral values happens at home initially. Not only this, common students spend most of the time with their parents or guardians. So, taking this into account, today we are going to discuss the role guardians can play in the development of academic integrity. The Problem Present Corona Pandemic has affected educational practices in a transformative manner like nev

जल संरक्षण के क्षेत्र में किसका क्या कर्तव्य?

Image
नमस्कार दोस्तों आशा है कि आप सभी अपने यथा स्थान खुश होंगे और अपने लक्ष्य की प्राप्ति की ओर बढ़ रहे होंगे। आपकी यात्रा को ऊंचाइयां देने वाले समूह सम्प्रभा के ब्लॉग पर आप सभी का स्वागत है। आज हम बात करने जा रहे हैं कि भविष्य में सामाजिक और व्यक्तिगत तथा सरकारी स्तर पर किन प्रयासों के माध्यम से जल संरक्षण के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया जा सकेगा 1) व्यक्तिगत स्तर पर अपेक्षित प्रयास :- जल संरक्षण के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए भविष्य में देश के नागरिकों से व्यक्तिगत स्तर पर निम्न प्रयास अपेक्षित हैं - क) प्रत्येक व्यक्ति दैनिक जीवन में अपने द्वारा की जाने वाली क्रियाओं में जल का सीमित उपयोग करे।  ख) घरेलू क्रियाओं में जल का उपयोग सीमित करें। ग) जल का किसी भी रूप में अपव्यय होता देखकर अपने आप को एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में पेश करते हुए अपने स्तर पर इसके संरक्षण के प्रयास करें और प्रशासन को भी सूचित करे। 2) सामाजिक स्तर पर अपेक्षित प्रयास:- जल का पूर्णतया संरक्षण सामाजिक स्तर पर एकीकृत प्रयासों से ही संभव है, अतः समाज के सदस्यों से निम्न प्रयास अपेक्षित हैं- क) जल संरक्षण के लिए बना

बेरोज़गारी की समस्या का वैयक्तिक स्तर पर समाधान

Image
स्वागत है आपका संप्रभा के ब्लॉग पर, संप्रभा परिवार आशा करता है कि आप अपने जीवन में एक सकारात्मक सोच के साथ जीवन में प्रगति पथ पर अग्रसर हैं। आज हम बेरोज़गारी जैसी महत्त्वपूर्ण समस्या के उपेक्षित-से पक्ष की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं। निश्चित ही, ये ऐसी समस्या है जिस पर सरकारी स्तर के प्रयासों और नीतियों का सर्वाधिक महत्त्व है पर आज हम उस बिंदु से हटकर कुछ बात करते हैं:  बेरोज़गारी एक बहुआयामी समस्या है। गहन अध्ययन की दृष्टि से देखा जाए तो इस समस्या के अनेक पक्ष हैं जिन पर विश्लेषणात्मक चर्चा संभव है उदाहरणार्थ: अर्थव्यवस्था के स्थूल दृष्टिकोण के अंतर्गत इस समस्या के विभिन्न नीतिगत, राजनीतिक एवं सामाजिक कारकों पर बात की जा सकती है लेकिन आज की चर्चा का केंद्र कुछ अलग है। आज हम बात करेंगे कि हम स्वयं के स्तर पर आत्मनिर्भर होने के लिए क्या कर सकते हैं:  यहाँ हम कुछ तथ्यों को समझते हैं:  स्वयं को सही मायनों में शिक्षित करना भारत की शिक्षा पद्धति की अपनी खामियाँ हैं, जिनका निबटान समय एवं प्रभावी शिक्षा नीतियों की अनुप्रोयाजाना पर  निर्भर करता है परंतु यहाँ एक बिंदु है जिस पर हम अपन

तनाव: शारीरिक पक्ष एवं समाधान

Image
स्वागत है आपका संप्रभा के ब्लॉग पर, आज हम चर्चा करने जा रहे हैं: तनाव के शारीरिक पक्ष के बारे में। जैसा की सर्वविदित है कि मानसिक तनाव बहुत-सी शारीरिक परेशानियों को जन्म देता है। तनाव अधिक होने पर सामान्य जुकाम-बुखार से लेकर हृदयाघातों का ख़तरा बढ़ जाता है। तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है।  तनाव मनुष्य को निष्क्रिय बना देता है।(Kolehmainen & Sinha, 2015).  विभिन्न शोधों से इस सन्दर्भ में दो बातें स्पष्ट होती हैं: १. शारीरिक गतिवधियाँ तनाव को ख़त्म करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। २. तनाव सक्रिय शारीरिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न करता है। अतः तनाव के समुचित प्रबंधन के लिए केवल शारीरिक गतिविधियाँ पर्याप्त नहीं है। हमें कुछ ऐसा करना होगा कि तनाव किसी अन्य क्रियाविधि द्वारा भी कम हो। इसके लिए विभिन्न यौगिक क्रियाओं का सहारा लिया जा सकता है। ये यौगिक क्रियाएं जैव-रासायनिक रूप से हमारी मानसिक संरचना को प्रभावित करती हैं जिससे तनाव कम होता है। यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि योग केवल शारीरिक क्रिया नहीं है बल्कि इसमें ध्यान की क्रिया भी सम्मिलित होती है जिससे सकारात्मकता का

सामाजिक तनाव का समाधान

आज हम संप्रभा पर जानेंगे कि कैसे सामाजिक तनाव की समस्या को समझकर उसका प्रभावी समाधान किया जाए। सामाजिक तनाव वस्तुतः एक ऐसा तनाव है जिसकी उत्पत्ति किसी के व्यक्तिगत संबंधों एवं सामाजिक पर्यावरण के कारण होती है। (आना, 2018) तनाव को अनेक प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है। सामाजिक तनाव इसी का भाग है। इस विषय पर चर्चा इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि वर्तमान में आधुनिक सुविधाएँ होने के बावजूद कोरोना से बचाव के लिए जाने-अनजाने हमारा विसमाजीकरण हो गया जिससे अकेलेपन के कारण तनाव बढ़ गया। यह एक प्रकार से सामाजिक तनाव ही था। विद्यार्थियों के सन्दर्भ में सामाजिक तनाव की समस्या के निबटान के लिए चार प्रमुख तत्व मुख्य भूमिका निभाते हैं: १. परिवार २. सहपाठी ३. विद्यालय अथवा महाविद्यालय ४. अन्य कारक परिवार: पारिवारिक परिस्थितियाँ तनाव से निबटान में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। खुशनुमा माहौल विद्यार्थियों को सर्वश्रेष्ठ रूप में विकसित होने का अवसर प्रदान करता है। इस प्रकार अभिभावक के रूप में हमारी ज़िम्मेदारी है कि घर में किसी प्रकार के झगड़े से बचें, अपने बच्चों को उचित समय दें, उनकी रूचियों

Kudos to Kader Shaikh: A Businessman Who Converted His Office into Hospital

 Today, at Samprabha  we are going to share a story of a Surat-based businessman who converted his 3-floor office (30,000 sq. feet) into 84 beds Covid-19 facilities. In June, Kader Shaikh and his family members tested positive for the Covid-19 virus. They were having hard times when admitted to the hospital as they were not properly cared for by the hospital staff. His brother who admitted in a private hospital, in his words, "was being treated as if we were taking treatment for free". When the discharging time came, the hospital handed over the bill of    ₹ 12.5 lac to Kader Shaikh. He was shocked to see the bill and even after paying such a huge amount, he saw no improvement in his brother's physique. It was then when he realised the pain of the poor. Then he talked to the MP of the region Mrs Darshana Jardosh and expressed his wish to build a hospital for Corona patients. He specified that the hospital, managed by whosoever, should run it for free i.e., all the facilit

कोरोना काल में समाज में कुछ सकारात्मक प्रभाव

कोरोना महामारी पूरे विश्व के लिए अत्यंत भयावह और घातक सिद्ध हुई है , परन्तु जैसा कि सर्वविदित है कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं , अंतर केवल नज़रिये का है।  इस कोरोना महामारी के समय हमें समाज में कुछ ऐसे सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले जो शायद सामान्य परिस्थितियों में सम्भव ना हो पाते और जो हमारे लिए अत्यंत अनुकरणीय हैं ।  उन्ही परिवर्तनों को दर्शाने का एक प्रयास है यह कविता -  कोरोना के काल में मिलती है कुछ सीख  सकारात्मक  बन के रहो मिलेगी तब ही जीत  कोरोना के काल में हुई अनोखी बात  रामायण जो बंद पड़ी हुई उसकी भी शुरुआत  बच्चे ,बूढ़े और जवान करते सब ही बात  रामायण ने कर दिया सब अपनों को साथ  बच्चों में भी संस्कार की हुई पुनः बरसात  घरवालों को कहने लगे मातृ पितृ और भ्रातृ  महाभारत भी खूब चली रामायण के साथ  फिर से हमने देख ली पासों की  शह मात  देकर ज्ञान फिर गीता का कृष्ण ने रख दी बात  कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु तात  धीरे धीरे चल पड़ा कोरोना का खेल  पर घर बैठे मिल गए सबके दिल के मेल  पंछी सब भी ले रहे अब सुकून की सांस  पर्यावरण में है नहीं धुएं की बरसात  वायुमंडल भी शुद्ध हुआ कोरोना