रामायण की मनोवैज्ञानिक शिक्षाएं
नमस्कार दोस्तों एक बार फिर से स्वागत है आपका सकारात्मक किरणों से प्रकाश फैलाने वाले समूह सम्प्रभा के ब्लॉग पर। आज हम रामायण के मनोवैज्ञानिक और शिक्षाप्रद तथ्यों पर चर्चा करने जा रहे हैं, जिनमें से प्रमुख इस प्रकार हैं- 1. कर्तव्यपालन:- रामायण के अध्ययन के पश्चात हम पाते हैं कि श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ की आज्ञा का सदैव पालन किया, इसके लिए उन्होंने वनवास जानेे को भी सहर्ष स्वीकार किया तथा बाद में जब भरत उन्हें इस बात के लिए मनाने गए कि वे ही राज्य की सत्ता ग्रहण करें तो उन्होंने पिता की आज्ञा पालन का हवाला देकर 14 वर्ष से पहले अयोध्या वापस आने को मना कर दिया। इसके अलावा हम पाते हैं कि लक्ष्मण,श्री हनुमान जी और सीता माता भी हर एक स्थान पर अपने कर्तव्य का पालन करते हुए दिखाई देते हैं। 2. मूल्यों से युक्त समाज की ही उन्नति संभव:- रामायण के अनुसार तत्कालीन अयोध्या नगरी आदर्शों और मूल्यों का पर्याय थी, साथ ही हमें यह भी जान लेना चाहिए कि मूल्य विहीन समाज एक कोरी कल्पना मात्र है वर्तमान में जहां हम भौतिकवादी वस्तुओं की प्राप्ति हेतु लोगों को मूल्यों से परे जाते हुए देख रहे हैं तब यह आव