रुकना नहीं है साथी तुझको पार समंदर जाना है

 हैलो दोस्तों

हम आशा करते हैं कि आप बेहतर होंगे और अपनों का ख्याल रख रहे होंगे।

 तो दोस्तों हम आज आपके सामने एक बेहतरीन कविता प्रस्तुत करने जा रहे हैं जो आपके जीवन में एक नवीन ऊर्जा का संचार करने के ध्येय से लिखी गई है -

रुकना नहीं है साथी तुझको पार समंदर जाना है

शेर का बच्चा है तू फिर गीदड़ से क्या घबराना है

 बाधाएं ना माने तो फिर समर जोड़कर रख देना

कष्ट अगर आ जाए तो फिर कमर तोड़ कर रख देना

मेहनत के पद चिह्नों पर चलकर विजय पताका लहराना है

दिन रात जो चलते जाना है और सबसे अव्वल आना है

जूं के भय से गुदड़ी को छोड़ नहीं सकता है तू 

अरमानों और उम्मीदों को तोड़ नहीं सकता है तू

ऐसी  छाप छोड़नी है पत्थर पर ज्यूं निशान बने

परतंत्र सा जीना क्या खुद भी कोई पहचान बने

ना रहा अबोध और ना ही तू अब बालक बन

जिंदगी के वाहन का तू ही खुद अब चालक बन

राहों में कंटक आएंगे, तुझे सदा संभलकर चलना है

देश,काल, स्थान के अनुकूल ही तुझको ढलना है


जो शोर करे दुनिया करने दो, तेरा दौर भी आएगा

मेहनत से सब कुछ हासिल कर तू मन के मोर नचाएगा 

तेरी कश्ती डूबी तो फिर केवल तू ही बचाएगा

मूक दर्शक बन जायेंगे, पास नहीं कोई आएगा

हार को हराकर तुझको आगे बढ़ते जाना है

स्थलमंडल तेरी सीमा नहीं है दूर क्षितिज तक जाना है 


इस पोस्ट को विजिट करने के लिए सभी दोस्तों का हार्दिक धन्यवाद।

 Written by :- RAJENDRA MINA

जय हिन्द जय भारत जय भारतीय सेना

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Comments

  1. Replies
    1. शुक्रिया जी 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

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  2. बहुत ही ऊर्जावान कविता, नसों में ज्वार उठा दे ये बोल 👍👍

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    1. आशा है कि इस ऊर्जा से आपके जीवन की प्रगति में चार चांद लगेंगे

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  3. Replies
    1. शुक्रिया भाईसाहब जी 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

      Delete

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