मानसिक स्वास्थ्य को उत्तम कैसे रखा जाए - भावात्मक पक्ष



सकारात्मक मूड 

सकारात्मक मूड या सकारात्मक विचार व्यक्ति को कठिन से कठिन परिस्थिति को भी नियंत्रित करने में मदद करते हैं ,वर्तमान समय में व्यक्ति हरदम सकारात्मकता  की खोज में रहता हैं इसका कारण है- वर्तमान परिवेश।

सकारात्मक मन का निर्माण साफ हवा व  प्रकृति के करीब जाकर भी किया जा सकता है। जब भी खाली समय मिले तो क्यों ना कुछ समय एकांत में बिताया  जाए और यह  एकांत भरा स्थान  प्रकृति के करीब हो।

कई शोधों में यह बात सामने आई है कि व्यक्ति को नकारात्मकता से सकारात्मकता  में लाने का कार्य प्रकृति भी करती है।

जीवन में संतुष्टि

समय के साथ- साथ बढ़ती चकाचौंध की दुनिया ने व्यक्ति की इच्छाओं को भी बढ़ा दिया है और बढ़ते इच्छा असंतुष्टि पैदा करती है ।

जीवन में संतुष्टि के लिए जरूरी हो जाता है कि हम लक्ष्य पर पहुंच कर ही खुश ना हो बल्कि क्यों ना इससे पूर्व जो भी छोटे-छोटे पड़ाव पार करें उन्हें पार करने पर भी खुशी बस मनाएं। 

छोटी-छोटी उपलब्धियों पर खुश होना है, जीवन में संतुष्टि के भाव पैदा करती है।

बड़े लक्ष्य तक पहुंचने से पूर्व सकारात्मक मूड के साथ जीवन की संतुष्टि उस लक्ष्य के मज्जे को दुगुना कर देती है।

अच्छे मित्रों का साथ जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हो जीवन में संतुष्टि का भाव पैदा करते हैं ।

निष्कर्ष: जो वर्तमान परिस्थितियों में मिला उसी में खुश रहने का प्रयास करें बेहतर भविष्य के लिए वर्तमान खुशी को  दांव पर ना लगाएँ।

खुशी 

किसी ने बड़ा खूब कहा है कि 

"फूल बनकर मुस्कुराना जिंदगी

 मुस्कुराकर गम भुलाना जिंदगी 

जीतकर कोई खुश हो तो क्या हुआ।

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सकारात्मक रहना व जीवन में संतुष्टि के साथ-साथ खुशी का होना बेहद जरूरी है।

खुशी या प्रसन्नता हरदम रहे ये जरूरी कतई नहीं है, पर इसे  बनाए रखने की कोशिश जरूर करनी चाहिए ।

हम जिस चीज को जिस हिसाब से चाहते हैं और अगर वह उस तरह से हो रही हैं तो खुशी को बनाए रखा जा सकता है अन्यथा इसमें उदासी के आने का संकेत मिल जाता है खुशी से ही उदासी के भाव छिप सकते हैं,तभी तो कहा गया हैं कि 

"तुम जो इतना मुस्कुरा रहे हो

क्या गम है जो छुपा रहे हो" व्यक्ति के खुश रहने से उसके शरीर का ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है तो क्यों ना मुस्कुराया जाए। 

सन्दर्भ: खुद को खुश कैसे रख सकते हैं आप 

                 

✍जीबीडी रामजीवन

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