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Showing posts from June, 2021

मानसिक स्वास्थ्य को उत्तम कैसे रखा जाए - भावात्मक पक्ष

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सकारात्मक मूड  सकारात्मक मूड या सकारात्मक विचार व्यक्ति को कठिन से कठिन परिस्थिति को भी नियंत्रित करने में मदद करते हैं ,वर्तमान समय में व्यक्ति हरदम सकारात्मकता  की खोज में रहता हैं इसका कारण है- वर्तमान परिवेश। सकारात्मक मन का निर्माण साफ हवा व  प्रकृति के करीब जाकर भी किया जा सकता है। जब भी खाली समय मिले तो क्यों ना कुछ समय एकांत में बिताया  जाए और यह  एकांत भरा स्थान  प्रकृति के करीब हो। कई शोधों में यह बात सामने आई है कि व्यक्ति को नकारात्मकता से सकारात्मकता  में लाने का कार्य प्रकृति भी करती है। जीवन में संतुष्टि समय के साथ- साथ बढ़ती चकाचौंध की दुनिया ने व्यक्ति की इच्छाओं को भी बढ़ा दिया है और बढ़ते इच्छा असंतुष्टि पैदा करती है । जीवन में संतुष्टि के लिए जरूरी हो जाता है कि हम लक्ष्य पर पहुंच कर ही खुश ना हो बल्कि क्यों ना इससे पूर्व जो भी छोटे-छोटे पड़ाव पार करें उन्हें पार करने पर भी खुशी बस मनाएं।  छोटी-छोटी उपलब्धियों पर खुश होना है, जीवन में संतुष्टि के भाव पैदा करती है। बड़े लक्ष्य तक पहुंचने से पूर्व सकारात्मक मूड के साथ जीवन की संतुष्टि उस लक्ष्य के मज्जे को दुगुना कर द

रुकना नहीं है साथी तुझको पार समंदर जाना है

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 हैलो दोस्तों हम आशा करते हैं कि आप बेहतर होंगे और अपनों का ख्याल रख रहे होंगे।  तो दोस्तों हम आज आपके सामने एक बेहतरीन कविता प्रस्तुत करने जा रहे हैं जो आपके जीवन में एक नवीन ऊर्जा का संचार करने के ध्येय से लिखी गई है - रुकना नहीं है साथी तुझको पार समंदर जाना है शेर का बच्चा है तू फिर गीदड़ से क्या घबराना है  बाधाएं ना माने तो फिर समर जोड़कर रख देना कष्ट अगर आ जाए तो फिर कमर तोड़ कर रख देना मेहनत के पद चिह्नों पर चलकर विजय पताका लहराना है दिन रात जो चलते जाना है और सबसे अव्वल आना है जूं के भय से गुदड़ी को छोड़ नहीं सकता है तू  अरमानों और उम्मीदों को तोड़ नहीं सकता है तू ऐसी  छाप छोड़नी है पत्थर पर ज्यूं निशान बने परतंत्र सा जीना क्या खुद भी कोई पहचान बने ना रहा अबोध और ना ही तू अब बालक बन जिंदगी के वाहन का तू ही खुद अब चालक बन राहों में कंटक आएंगे, तुझे सदा संभलकर चलना है देश,काल, स्थान के अनुकूल ही तुझको ढलना है जो शोर करे दुनिया करने दो, तेरा दौर भी आएगा मेहनत से सब कुछ हासिल कर तू मन के मोर नचाएगा  तेरी कश्ती डूबी तो फिर केवल तू ही बचाएगा मूक दर्शक बन जायेंगे, पास नहीं कोई आएगा हार