संघर्ष

संप्रभा के ब्लॉग पर आपका स्वागत है 
नमस्कार मै आज  इस आलेख में संघर्ष के बारे में बात करूंगा तो शुरू करते है एक प्रश्न के साथ और पूरा आलेख उसका जवाब

संघर्ष क्या है ? 
       संघर्ष व्यक्ति के कुछ नहीं से बहुत कुछ बनने के सफर का नाम है ।हर किसी के लिए इस संघर्ष का रूप , परिभाषा अलग अलग होती है मेरे अनुसार संघर्ष दो प्रकार के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है एक सार्वजनिक उद्देश्य की प्राप्ति हेतु और दूसरा व्यक्तिगत उद्देश्य की प्राप्ति हेतु । संघर्ष जिस किसी भी उद्देश्य कि प्राप्ति के लिए हो उसका मार्ग कठिन होता है कभी कभार हम संघर्ष के इस मार्ग में विचलित होकर धैर्य  खोने लगते हैं और हमें लगता है की हम ये नहीं कर पाएंगे उस समय उन लोगो का जीवन संघर्ष हमें प्रेरणा देता है जिन्होंने कठिन संघर्ष के द्वारा अपने उद्देश्यों को हासिल किया होता है । 
व्यक्तिगत जीवन में अपने निजी उदेश्यो की प्राप्ति के लिए किए जाने वाले संघर्ष की अपेक्षा सभी लोगो के कल्याण के उद्देश्य से किए जाने वाले संघर्ष का मार्ग कठिन होता है । इस संदर्भ में एक ऐसे शख़्स का जिक्र आवश्यक है जिसने एक आदर्श की प्राप्ति हेतु अपने को संघर्ष की राह पर ले गया मैं यहां दक्षिण अफ्रीका के अश्वेत नेता नेल्सन मंडेला की बात कर रहा हूं जिन्होंने काले व गौरे  लोगो के मध्य भेद मिटाने के आदर्श की प्राप्ति हेतु कठिन संघर्ष किया और अपने जीवन और वो भी युवावस्था के 28 साल अफ्रीका की काल कोठरियों में बिताए 
जब मैने इनको पढ़ा तो यकीन नहीं हुआ की कोई इतना संघर्ष उस आदर्श की प्राप्ति के लिए कैसे कर सकता है जिसके बारे में ये तक पता नहीं की ये संभव होगा कि नहीं लेकिन नेलसन मंडेला ने धैर्य  के साथ संघर्ष किया और अपने निजी सुखों का त्याग किया जब नेलसन मंडेला जेल में बंद थे तो उन्हें ये भी नहीं पता था कि उन्हें कब छोड़ा जाएगा ,छोड़ा जाएगा भी की नहीं फिर भी अपने लक्ष्य के लिए संघर्ष करते रहना कठिन है ।
मेरे इस पूरे आलेख का सार यह है कि संघर्ष का मार्ग बहुत कठिन है यहां धैर्य ही हमारे लिए सबकुछ है लेकिन जब लक्ष्य सामने न दिखे कुछ स्पष्ट न हो तो धैर्य को धारण करना आसान नहीं है तब उन महापुरुषों के जीवन को जरूर पलट। लेना जिन्होंने एक संपूर्ण समाज के कल्याण हेतु अपने निजी जीवन को संघर्ष कि ज्वाला में झोंका आपको अपना निजी संघर्ष बौना नजर आएगा और एक नई ऊर्जा और धैर्य का संचार होगा ।
               "   हारा वही जो लड़ा नहीं  "
              © Hanuman Bishnoi

Comments

Popular posts from this blog

मैं ही आदिवासी हूं, आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपराओं पर कविता

वे क्षेत्र जिनमें प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल समाप्त किया जा सकता है

रुकना नहीं है साथी तुझको पार समंदर जाना है