केशवानंद भारती मामले का भावी महत्व
केशवानंद भारती मामले का भावी महत्व समझने के लिए इस मामले को संक्षिप्त में देखते हैं:
- केरल सरकार ने दो भूमि सुधार कानून बनाए इनकी मदद से सरकार केशवानंद भारती के इंडनीर मठ के मैनेजमेंट पर कई सारे पाबंदियां लगाने की कोशिश कर रही थी। दरअसल इस कानून के तहत मठ की 400 एकड़ में से 300 एकड़ जमीन पट्टे पर खेती करने वाले लोगों को दे दी गई थी। केशवानंद भारती ने केरल सरकार के भूमि सुधार कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
- इस मामले में केशवानंद जी को व्यक्तिगत राहत तो नहीं मिली लेकिन केशवानंद भारती बनाम स्टेट ऑफ़ केरल मामले की वजह से एक महत्वपूर्ण संवैधानिक सिद्धांत का निर्माण हुआ जिसने संसद की संशोधन करने की शक्ति को सीमित कर दिया और इसमें निर्णय सुनाया गया कि संविधान संसद से सर्वोपरि है।
- न्यायिक समीक्षा, पंथनिरपेक्षता, स्वतंत्र चुनाव व्यवस्था, और लोकतंत्र को संविधान का मूल ढांचा कहा गया और यह कहा गया की मूल ढांचे को आगे आवश्यकता पड़ने पर परिभाषित करती रहेगी यानी मूल ढांचे में और क्या-क्या शामिल है यह कोर्ट आगे आवश्यकता पड़ने पर बताएगी और इस केस से भविष्य में सरकार द्वारा संविधान में जल्दबाजी से किए गए संशोधन पर कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।
विदेशी अदालतों ने भी ली प्रेरणा:
केशवानंद भारती बनाम स्टेट ऑफ़ केरल मामले के ऐतिहासिक फ़ैसले से कई विदेशी संवैधानिक अदालतों ने भी प्रेरणा ली। कई विदेशी अदालतों ने इस ऐतिहासिक फ़ैसले का हवाला दिया।
- लाइव लॉ के मुताबिक़, केशवानंद के फ़ैसले के 16 साल बाद, बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने भी अनवर हुसैन चौधरी बनाम बांग्लादेश में मूल सरंचना सिद्धांत को मान्यता दी थी।
- वहीं बेरी एम बोवेन बनाम अटॉर्नी जनरल ऑफ़ बेलीज के मामले में, बेलीज कोर्ट ने मूल संरचना सिद्धांत को अपनाने के लिए केशवानंद केस और आईआर कोएल्हो केस पर भरोसा किया।
- केशवानंद केस ने अफ्रीकी महाद्वीप का भी ध्यान आकर्षित किया। केन्या, अफ्रीकी देश युगांडा, अफ्रीकी द्वीप- सेशेल्स के मामलों में भी केशवानंद मामले के ऐतिहासिक फ़ैसले का ज़िक्र कर भरोसा जताया गया।
शोधकर्ता एवं लेखक: मोहन चौधरी
शानदार, जबरदस्त, जिंदाबाद
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