भारतीय अर्थव्यवस्था और विनिवेश

 भारतीय अर्थव्यवस्था और विनिवेश 

भूमिका-


                
भारतीय  अर्थव्यवस्था विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है आजादी के बाद नियोजन के प्रारंभिक वर्षों में मिश्रित अर्थव्यवस्था को आर्थिक विकास का आधार बनाया गया अर्थात भारतीय अर्थव्यवस्था में निजी व सार्वजनिक क्षेत्र दोनों क्षेत्रों का महत्व होगा देश की  तात्कालिक जरूरतों के अनुसार कुछ उद्यमों  को सार्वजनिक क्षेत्र में रखा गया और कुछ उद्यमों को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया । बदलते वक्त देश की जरूरतों के अनुसार समय-समय पर सार्वजनिक क्षेत्र का विनिवेश अर्थात निजी करण किया गया और इनको भी निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया । कुछ अर्थशास्त्री इस विनिवेश के पक्ष में होते हैं और कुछ विपक्ष में लेकिन विनिवेश का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक उपक्रमों को बाजार की शक्तियों के अधीन लाना और इनके प्रबंधन को अधिक व्यवसायिक और लाभप्रद  बनाया जाना है। इस तरह सार्वजनिक क्षेत्र की कार्यकुशलता व प्रबंधन में सुधार करना निजी करण का प्रमुख लक्ष्य माना जाता है लेकिन अधिकांश मामलों में देखा गया है कि सरकार के विनिवेश का लक्ष्य धन जुटाना रहा है और विनिवेश  से प्राप्त राशि का उपयोग राजकोषीय घाटे को कम करने में किया है । हालांकि सरकार की इस मंशा पर विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं की विनिवेश से प्राप्त राशि का उपयोग राजकोषीय घाटे को कम करने में नहीं करना चाहिए इसका उपयोग सार्वजनिक उपक्रमों  को और बेहतर बनाने में करना चाहिए जो भी हो सरकार को बड़ी मेहनत से खड़े किए सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश एक योजना बनाकर करना चाहिए ताकि इनका उचित मूल्य मिल सके

विनिवेश की पद्धति     


                          भारत में विनिवेश का एक दौर सा चला जो 1991 से प्रारंभ हुआ और यह वर्तमान तक जारी है हालांकि यह देखने में आया है कि सरकार विनिवेश करते समय ज्यादा शेयरों पर अपना नियंत्रण रखती है पर कई बार ऐसा होता है की सरकार बेहद कम दामों पर सरकारी उपक्रमों का विनिवेश करती है  जिससे सार्वजनिक उपक्रमों  के शेयरों  का उचित दाम नहीं मिल पाता  उदाहरण के रूप में देखे तो 1991 में सरकार ने महानगर टेलीकॉम निगम लिमिटेड , विदेश संचार निगम लिमिटेड का बहुत ही कम दामों पर विनिवेश किया जो उचित नहीं था । सरकार को सही समय देखकर और बाजार की परिस्थितियों के अनुरूप विनिवेश करना चाहिए ताकि सार्वजनिक उपक्रमों के शेयरों का उचित मूल्य मिल सके ।

निजीकरण / विनिवेश का महत्व -


                                    विनिवेश आर्थिक सुधारों के लिए लाभदायक माना जाता है यह सरकार के लिए वित्त जुटाने का महत्वपूर्ण स्रोत है विनिवेश की राशि को राष्ट्रीय निवेश कोष में जमा किया जाता है जहां से इसका उपयोग विभिन्न सरकारों को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है  । लेकिन अधिकांश मामलों में देखा गया है कि सरकार विनिवेश को राजकोषीय घाटे को कम करने का माध्यम  मानती आई है और इनमें से प्राप्त राशि का प्रयोग राजकोषीय घाटे को कम करने में किया है वर्तमान हालातों को देखे तो देश को एक स्पष्ट व दूरगामी विनिवेश नीति की आवश्यकता है । 

वर्तमान समय में विनिवेश - 


                                  जैसा कि आलेख के शुरुआत में कहा गया कि भारत में विनिवेश का दौर उदारीकरण की पृष्ठभूमि में शुरू हुआ जो आज भी जारी है वर्तमान समय में सरकार मंदी के हालातों से निपटने के लिए विनिवेश को एक के वित्त  जुटाने के महत्व स्रोत  के रूप में देख रही है इस क्रम में सरकार कई सार्वजनिक उपक्रमों को निजी क्षेत्र के लिए खोल रही है जैसे पिछले साल सरकार ने एलआईसी का निजीकरण किया और वर्तमान समय में रेलवे का निजीकरण कर रही है । हालांकि  रेलवे के निजीकरण का विरोध किया जा रहा है सरकार का तर्क है कि रेलवे को जनता के लिए बेहतर बनाने के लिए इसका निजीकरण कर रहे हैं पर बेहतर बनाने की अपेक्षा  यह वित्त जुटाने का स्रोत ज्यादा लग रहा है।

विनिवेश की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए सुझाव- 


           (1) विनिवेश के लिए एक अलग तंत्र की स्थापना

           ( 2) विनिवेश के कार्यक्रम को बजट से अलग रखना चाहिए 

(1) विनिवेश के लिए एक अलग तंत्र की स्थापना - 


                                 सरकार ने वर्तमान समय में विनिवेश   को करने के लिए एक अलग तंत्र की स्थापना की है ताकि विनिवेश की प्रक्रिया को अच्छे और लाभदायक से किया जा सके ताकि  सरकारी उपक्रमों के शेयरों का जितना मिल सके यह आवश्यक है कि विनिवेश करने वाली संस्था के पास विशेष अधिकार होने चाहिए लेकिन दुर्भाग्य है कि विनिवेश आयोग के अधिकारों में फरवरी 1999 में कटौती करके उसे मात्र एक सलाहकार संस्था बना दिया गया इससे विनिवेश के कार्य में ढिलाई आई 

(2) विनिवेश के कार्यक्रम को बजट से अलग रखना चाहिए


                                      विनिवेश से प्राप्त धनराशि को एक पृथक  विनिवेश कोष में जमा किया जाना चाहिए ताकि इसका उपयोग आधारभूत ढांचे का विकास करने वह सार्वजनिक उपक्रम की सुविधाओं को बढ़ाने में किया जा सके लेकिन देखा जाता है कि विनिवेश  से प्राप्त राशि का उपयोग राजकोषीय घाटे को कम करने में किया जाता है और यह सरकार के चालू खाते की पूर्ति में लग जाता है जो कि उचित नहीं है

               संदर्भ सूची 

        * भारतीय अर्थव्यवस्था -लक्ष्मी नारायण नाथूरामका 

        * दृष्टि मैगजीन 

        * दृष्टि भारतीय अर्थव्यवस्था 

    © हनुमान बिश्नोई b8357369@gmail.com

    ® सम्प्रभा फाउंडेशन

Comments

Popular posts from this blog

मैं ही आदिवासी हूं, आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपराओं पर कविता

विश्नोई समाज की उपलब्धियाँ

वे क्षेत्र जिनमें प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल समाप्त किया जा सकता है