'संविधान के संरक्षक' केशवानंद भारती जी ने ली अंतिम सांस

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6 सितंबर 2020 को भारत ने 'संविधान के रक्षक', तेजस्वी साधु और महान व्यक्तित्व को खो दिया। जी हां 9 दिसंबर 1940 को भारत भूमि पर जन्म लेने वाले इस साधु का योगदान सदियों तक आदर के साथ याद किया जाएगा। केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के नाम से दायर की गई याचिका पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 24 अप्रैल 1973 को  दिया गया निर्णय भविष्य में भारत के संविधान के प्रहरी के रूप में अपना अद्वितीय योगदान देता रहेगा तथा श्रीमान् भारती जी का स्मरण हमें करवाता रहेगा। 

अब हम इस याचिका के मुख्य बिंदुओं तथा निर्णयों पर अपना ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करते हैं-

  1. 68 दिनों तक चलने वाली सुनवाई के अध्यक्ष तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश श्री एस एम सिकरी जी थे। मामले की सुनवाई करने वाली इस बेंच में कुल 13 न्यायाधीश शामिल थे। जिनमें से 7 न्यायाधीश फैसले के पक्ष में थे। 

  2. आदरणीय भारती जी की यह याचिका मुख्य रूप से केरल में भूमिहीन नागरिकों को दी जाने वाली जमीन के वितरण में हुई अनियमितताओं के संबंध में थी

  3. इस याचिका के निर्णय से केरल के उत्तरी जिले कासरगोड स्थित इडनीर मठ के प्रमुख केशवानंद भारती जी को प्रत्यक्ष रूप से फायदा तो नहीं हुआ लेकिन देश के संविधान के संरक्षण के क्षेत्र में यह एक ऐतिहासिक निर्णय साबित हुआ। 

  4. इस निर्णय से सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत प्रतिपादित किया जिसके तहत संसद की अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन की शक्ति असीम नहीं है,संविधान की प्रस्तावना संविधान की आत्मा है तथा कोई भी सत्ता किसी भी प्रकार के स्वार्थों के अधीन होकर संविधान के मूल ढांचे में परिवर्तन करने की अधिकारी नहीं है।

  5. संविधान के आधारभूत संरचना के अंतर्गत मुख्य रूप से निम्न तत्व परिभाषित किए गए-न्यायिक समीक्षा,पंथनिरपेक्षता,स्वतंत्र चुनाव व्यवस्था, लोकतंत्र,संविधान की सर्वोच्चता स्वतंत्र,न्यायपालिका शक्तियों का विकेंद्रीकरण,संघवाद संसदीय प्रणाली,कल्याणकारी राज्य इत्यादि

  6.  यह सिद्धांत न्यायपालिका और संसद के बीच टकराव को समाप्त करने वाला साबित हुआ तथा भविष्य में भी यह देश के नागरिकों के अधिकारों को और देश को सत्ता के निरंकुशवादी प्रभाव से बचाने में अपनी अहम भूमिका अदा करेगा।

 इस प्रकार से केशवानंद भारती ना केवल एक साधु हैं अपितु वे अपने योगदान के लिए कोटि-कोटि साधुवाद के पात्र भी हैं। 

 भारत भूमि महान व्यक्तियों की भूमि है और केशवानंद भारती जी भी इसका अनुपम उदाहरण है। 


लेखक :-RAJENDRA MINA


References:- 1)इमरान कुरैशी(06 सितम्बर 2020), केशवानंद भारती : 'संविधान के रक्षक' कहलाने वाले धर्मगुरु का निधन,BBC news Hindi 

2)www.drishtiias.com 





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