नशे की प्रवृत्ति को समाज से कैसे दूर किया जाए

नशा - नशे की लत की शुरुआत समाज के द्वारा तो नहीं की जाती हैं  पर अगर  समाज चाहे तो नशे की प्रवृत्ति को कम जरूर कर सकता है।

प्रत्येक व्यक्ति के लिए बाहरी दुनिया की शुरुआत में  सबसे पहले हम समाज को शामिल करते हैं और यही समाज व्यक्ति के महत्वपूर्ण सामाजिक निर्णयों  में भागीदार भी बनता है।

व्यक्ति से नशे जैसी अवांछनीय आदत को दूर करने में समाज व बाहरी कड़ियों को हम देखते हैं जिनके माध्यम से हम जान पाएंगे कि इससे कैसे छुटकारा पाया जाए-

1. नशे के खिलाफ एकजुट होना होगा- नशे जैसी बुरी लत से व्यक्ति अकेला नहीं लड़ सकता इसमें सामूहिक योगदान बहुत महत्वपूर्ण है इसमें समाज के विशिष्ट व्यक्तियों को आगे आकर इसके खिलाफ एकजुट होना पड़ेगा।

2. नशीले पदार्थों पर सरकार रखे पैनी नजर- इस बात से कोई भी अनजान नहीं है कि नशीले पदार्थों का सेवन करने से कई लोगों के परिवार तबाह हो गए हैं, फिर भी सरकारें यह सब कुछ जान कर भी अनजान बनी हुई हैं। सरकारों को तय समय पर ठोस कदम उठाने चाहिए।

  • एक रिसर्च के अनुसार भारत में तंबाकू के सेवन से हर साल 1050000 लोगों की मौत होती है यह एक चिंता का भी  विषय है और सोचने का भी।
  • अगर सरकार नशीले पदार्थों की बिक्री पर कठोर नियम बनाए तो इस पर कुछ हद तक  काबू पाया जा सकता है।

3. नशीले पदार्थों के दुष्प्रभावों को बच्चों को भी बताया जाए-सरकार अगर स्कूली पाठ्यक्रम में नशीले पदार्थों के दुष्परिणामों को बताना शुरू कर दे तो कम उम्र में ही बच्चे नशे के खिलाफ जागरूक हो जाएंगे और इससे यह फर्क  पड़ेगा कि कम उम्र के बच्चों में नशे के खिलाफ जागरूकता और एकजुटता का भाव दिखेगा।

4. नशा मुक्ति केंद्रों का अहम योगदान- प्रत्येक समाज को समय-समय पर नशा मुक्ति केंद्रों का आयोजन करना होगा. नशा मुक्ति केंद्रों से यह फायदा होगा कि समाज के ऐसे लोग नशा छोड़ देंगे जो पूर्व में भी नशा छोड़ना तो चाह रहे थे लेकिन पैसों के अभाव में नशा नहीं छोड़ पा रहे हैं।

गरीब तबके के लोगों के लिए ये केंद्र किसी वरदान से कम नहीं होंगे।

5. बच्चों की मित्र मंडली का ख्याल रखें परिवार- परिवार की नैतिक  जिम्मेदारी बनती है कि वह अपनें बच्चों की मित्र मंडली का ध्यान रखें और मित्रों के चुनाव में समय-समय पर उन्हें जागरूक भी करें।

नशे की ओपनिंग अक्सर मित्रों के साथ होती है और मिडिल ऑर्डर का भार हमेशा की तरह परिवार पर ही पड़ता है।ह

हम हमारे आसपास के सामाजिक परिवेश में देखते हैं कि प्रत्येक नशे की शुरुआत मित्रों के साथ ही होती है यह शुरुआत ऐसे मित्रों के साथ होती है जिनके साथ व्यक्ति सर्वाधिक समय व्यतीत करता है, तो  सही समय पर सही मित्रों का चुनाव जरूरी हो जाता है।

6. नशीले विज्ञापनों की सीमा तय हो - व्यक्ति अपने नशे की शुरुआत में कई बातों की तरफ आकर्षित होता हैं  जिनमें प्रमुख योगदान विज्ञापनों का भी होता है जिसमें कई अभिनेता नशीले पदार्थों के सेवन के बाद उनसे मिली ताकत को दिखाते हैं और असंभव कार्य को संभव करके दिखाते हैं, इससे वर्तमान समय का युवा बहुत ज्यादा आकर्षित होता है और उन्हें अपना प्रेरक पुरुष मानकर उन्हीं की तरह करना शुरू कर देता हैं।

7. सामाजिक आयोजनों में नशे पर लगे प्रतिबंध- अधिकतर बड़े बड़े सामाजिक आयोजनों में नशा बिना किसी रोक-टोक के चलता है और कुछ नशीले पदार्थों को लोग  समाज में इज्जतदार नशा भी  मानते हैं।

इस संबंध में लोगों के भिन्न-भिन्न तर्क सुनने को मिलते हैं समय की मांग के आधार पर यह आवश्यक हो गया है कि सामाजिक प्रतिष्ठानों में भी नशीले पदार्थों के सेवन  पर रोक लगाई जाए।

8. विश्व तंबाकू दिवस- विश्व तंबाकू दिवस हर वर्ष 31 मई को मनाया जाता है इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य तंबाकू की वजह से होने वाली हर साल  7000000 मौतों के बारें में लोगों को जागरूक किया जाए। समय के साथ-साथ तंबाकू से होने वाली मौतें साल दर साल बढीं है।

इस दिन हमें समाज के लोगों को आँकड़ों से समझाना होगा।


9. समाज के युवक बने प्रेरणा स्रोत- अगर किसी व्यक्ति से हम नशीले पदार्थों के नुकसान के बारे में पूछेंगे तो बेशक हमें इसके दुष्प्रभाव  सुनने को मिलेंगे।

वहीं तंबाकू के सेवन से होने वाले नुकसान और इसका सेवन बंद करने के बाद के फायदों को अगर व्यक्ति आगे समाज को बताएगा तो कई लोगों के लिए यह मील का पत्थर साबित होगा। 

अगर किसी व्यक्ति ने नशीले पदार्थ छोड़ने के बाद कोई विशेष उपलब्धि प्राप्त की है तो वह इसे साझा करें क्योंकि आपकी कामयाबी कई लोगों के लिए सुनहरे भविष्य का निर्माण करेगी।


10. सार्वजनिक स्थानों पर नशीले पदार्थों की बिक्री पर लगे रोक- सार्वजनिक स्थानों पर नशीले पदार्थों(🍷🥂🚭) की बिक्री पर रोक लगाने से लोग नशीले पदार्थों का खुलकर विरोध कर सकेंगे।

इसमें हम मंदिर, मस्जिद,गुरूद्वारा,चर्च, विद्यालय, अस्पताल,  चौराहों  और बस स्टैंड को शामिल कर सकते हैं।

11. यौगिक क्रियाओं द्वारा नशे के प्रभाव को कम करना-

(1) कपालभाति- यह प्रणायाम मनुष्य के श्वसन तंत्र,पाचन तंत्र के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है.

प्रतिदिन इसके अभ्यास से नशे जैसी गंभीर आदतों  से छुटकारा पाया जा सकता है, इस  प्राणायाम को  करने से चेहरे पर चमक , नेत्र ज्योति व स्मरण शक्ति में भी वृद्धि होती हैं .


(2) अनुलोम-विलोम- इस प्राणायाम के निरंतर अभ्यास से चंचलता बुरे विचारों नकारात्मकता  को दूर करके शीघ्रता से एकाग्रता सकारात्मकता व ऊर्जा को प्राप्त किया जा सकता है।

 यह प्राणायाम मन मस्तिष्क संबंधी विकारों को दूर करता है।

(3) भ्रामरी- यह प्राणायाम मानसिक अशांति को दूर करके शरीर में नई ऊर्जा का संचार करता है साथ ही तनाव, अवसाद, चिंता, बेचनी क्रोध व विक्षिप्तता  जैसे नकारात्मक भावों  को दूर करता है।

🧘‍♂️विभिन्न उपयोगी आसन जो सावधानीपूर्वंक करें

(1) बैठकर-पश्चिमोत्तानासन,मंडूकासन ,वक्रासन।

(2) पीठ के बल लेटकर- सर्वोंगासन ,पवनमुक्तासन।

(3) पेट के बल लेटकर- धनुरासन,भुजंगासन व मकरासन।

(4)खङे होकर -ताड़ासन,पादहस्तासन,सूर्य नमस्कार व 5 मिनट की दौड़ इत्यादि।

संदर्भ-

1. नशा समाज को नाश के मार्ग पर ले जाता हैं: संत  भागीरथ दास जी आचार्य(विश्नोई समाज के प्रमुख संत )

2.यौगिक क्रियाओं से नशे का अन्त- श्री रामगोपाल जी आर्य (राजस्थान जनकल्याण परिषद् के योग गुरु)

3. किसी भी नशे को छोड़ने के कारगार उपाय-  आचार्य बालकृष्ण

4.तंबाकू दिवस स्पेशल-बीबीसी 

5.नशीले पदार्थों की गिरफ्त में युवा-दैनिक भास्कर 

6.मादक पदार्थों का अवैध कारोबार-दैनिक जागरण 

✍📖 रामजीवन विश्नोई 

धौरीमन्ना-बाड़मेर 

बीए बीएड तृतीय वर्ष(परिष्कार काॅलेज ऑफ ग्लोबल एक्सीलेंस,जयपुर)

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Comments

  1. बहुत ही सार्थक बात कही है भाई साहब👌👌👌
    मुझे आशा है आज का युवा इन बातों पर जरूर गौर करेगा।
    इसके लिए जन जागरण मुख्य मार्ग है।
    जाग्रति से हम नशा नामक बीमारी पर सफलता हासिल कर सकते है।

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    1. बहुत-बहुत आभार भाई
      आप जैसे आदरणीय और सम्मानीय लोगों से हम इस कार्य में सफलता अर्जित कर सकतें हैं 🥰😊

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  2. Sahi baat he bhai sahab
    नशा नाश का कारण है 🙏🙏😍🙏🙏

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    1. बिल्कुल भाई जी 👉नशा नाश का कारण हैं.
      शुक्रिया जी😊🥰🙏

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  3. Replies
    1. शुक्रिया लवीश जी भाई साहब 🥰

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  4. वर्तमान समय में नशा प्रगति में बाधक तत्व के रूप में मानव पर हावी होता जा रहा है... युवाओं के लिए बहुत ही सुंदर लेखन

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    1. पश्चिमी राजस्थान में तो विशेष रूप से हमें नशें से बर्बाद लोगों के चेहरे दिखते हैं 😔
      बहुत -बहुत आभार आपका 🥰😊🙏

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  5. नशा अब एक वैश्विक महामारी बन चुका है जो साक्षर बॉलीवुड से लेकर समाज के निचले पायदान तक विष की तरह घुल चुका है।
    आज भारत विश्व का सबसे युवा देश है और यहां के युवाओं में नशे की लत होना शुभ संकेत नहीं है। युवा वर्ग में व्याप्त इस आर्थिक ,सामाजिक और सांस्कृतिक बुराई को जड़ से मिटाना सरकार का ही नहीं बल्कि सभी जिम्मेदार नागरिकों का कर्तव्य है।
    नशे को रोकने के लिए सरकार को धन का लालच छोड़ना होगा, नशे बनाने वाली फैक्ट्रियों व कंपनियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना होगा तभी देश के युवाओं, संस्कृति और पर्यावरण को बचाया जा सकता है।

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  6. नशा अब एक वैश्विक महामारी बन चुका है जो साक्षर बॉलीवुड से लेकर समाज के निचले पायदान तक विष की तरह घुल चुका है।
    आज भारत विश्व का सबसे युवा देश है और यहां के युवाओं में नशे की लत होना शुभ संकेत नहीं है। युवा वर्ग में व्याप्त इस आर्थिक ,सामाजिक और सांस्कृतिक बुराई को जड़ से मिटाना सरकार का ही नहीं बल्कि सभी जिम्मेदार नागरिकों का कर्तव्य है।
    नशे को रोकने के लिए सरकार को धन का लालच छोड़ना होगा, नशे बनाने वाली फैक्ट्रियों व कंपनियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना होगा तभी देश के युवाओं, संस्कृति और पर्यावरण को बचाया जा सकता है।

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    1. शुक्रिया भाई 🥰😊
      बिल्कुल भाई
      बड़े स्तर पर बड़े प्रतिबन्ध की सख्त जरूरत है,तभी सुधार लाया जा सकता हैं .

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