बिश्नोई समाज के 29 नियम उनके अनुपालन से भारत के भविष्य की राह

बिश्नोई समुदाय के 29 नियमों को जानने से पहले हम बिश्नोई समुदाय को संक्षेप में समझते हैं


कौन हैं बिश्नोई

जिन्हें प्रकृति के प्रति प्रेम के लिए जाना जाता है इस समाज के लोग जानवरों को भगवान समझते हैं और इसके लिए यह लोग अपनी जान तक देने को तैयार रहते हैं बिश्नोई 20 और नोई से मिलकर बना है इस समाज के लोग  29 नियमों को पालन करते हैं।


"29 धर्म की आखिरी हृदय दरियो जोय /

जंभोजी कृपा करी नाम बिश्नोई होय"


जांभोजी ने 29 नियम बताए थे जो निम्न प्रकार है




1. प्रतिदिन प्रातः काल स्नान करना

2. 30 दिन जनन सूतक मनाना

3. 5 दिन राजस्वता स्त्री को गृह कार्य से मुक्त रखना

4. शील का पालन करना

5. संतोष का धारण करना

6. बाहरी एवं आंतरिक सुरक्षा एवं पवित्रता को बनाए रखना

7. तीन समय संध्या उपासना करना

8. संध्या के समय आरती करना एवं ईश्वर के गुणों के बारे में चिंतन करना

9. निष्ठा एवं प्रेम पूर्वक हवन करना

10. पानी ईंधन व दूध को छान-बीन कर प्रयोग में लेना

11. वाणी का संयम करना

12. दया एवं क्षमाको धारण करना


निम्न का त्याग करना

13. चोरी

14. निंदा

15. झूठ

16. वाद विवाद

17. अमल

18. तंबाकू

19. भांग

20. मध

21. नील


22. अमावस्या के दिन व्रत करना

23. विष्णु का भजन करना

24. जीवो के प्रति दया का भाव रखना

25. हरा वृक्ष नहीं कटवाना

26. काम क्रोध मोह एवं  लोभ का नाश करना

27. रसोई अपने हाथ से बनाना

28. परोपकारी पशुओं की रक्षा करना

29. बैल को बधिया नहीं करवाना

बिश्नोई समुदाय के 29 नियमों की भविष्य के भारत के निर्माण में आवश्यकता और प्रासंगिकता

बिश्नोई समुदाय को ही नहीं अपितु भारत के प्रत्येक नागरिक को भविष्य के भारत निर्माण के लिए इन नियमों का पालन करने की आवश्यकता है।

• वर्तमान समय में भारत में अनेक ऐसे रोग उत्पन्न हो रहे हैं जिनको प्रतिदिन प्रातः काल स्नान करने से समाप्त किया जा सकता है

• वर्तमान समय में व्यक्तियों के पास जो कुछ भी है उससे उनमें असंतोष है यानी मैं उससे कुछ नहीं है अधिक प्राप्त करने की लालसा बढ़ती जा रही है बिश्नोई समाज के नियम के अनुसार जो कुछ भी मिले उसमें संतोष धारण करने करके खुशी-खुशी जीवन जिया जा सकता है।

• बाहरी एवं आंतरिक शुद्धता एवं पवित्रता भविष्य की भारत निर्माण के लिए बहुत आवश्यक है (यहां बाहरी शुद्धता का मतलब आसपास की स्वच्छता से एवं आंतरिक शुद्धता का मतलब मन की शुद्धता एवं दूसरों के प्रति सकारात्मक भाव रखने से है)।

• धीरे-धीरे मानव अपने मन की शांति खोते जा रहे हैं और मानव में मानसिक तनाव बढ़ता ही जा रहा है संध्या के समय आरती करके एवं ईश्वर के गुणों के बारे में चिंतन करके तनाव को कम किया जा सकता है।


• बिश्नोई समुदाय और उनके गुरु का ही नहीं अपितु बड़े-बड़े संत महात्माओं का मानना है कि निष्ठा एवं प्रेम पूर्वक हवन करने से अनजाने में किए हुए ऐसे कार्य जिनसे अन्य प्राणियों को हानि हुई हो के श्राप से बचा जा सकता है।


• पानी इधर में दूध को छानबीन कर प्रयोग में लेने से इनकी गुणवत्ता में वृद्धि की जा सकती है जिससे शारीरिक क्षमता में वृद्धि होती है।


• वाणी का संयम करना अर्थात मीठी वाणी बोलने से शत्रु को भी जो खाया जा सकता है और कड़वी वाणी बोल कर मित्र को भी शत्रु बनाया जा सकता है।

• बिश्नोई समुदाय के नियमों के अनुसार जीव जंतु एवं मनुष्य के प्रति दया की भावना रखकर और दूसरों की गलतियों पर उन्हें समाज करके खुशी-खुशी जीवन व्यतीत किया जा सकता है।

• चोरी निंदा धूर्तता वाद विवाद का त्याग करने से लोगों के प्रति इज्जत एवं मान सम्मान में वृद्धि की जा सकती है।

• अमावस्या के दिन व्रत करना/ डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का भी मानना है कि महीने में 1 दिन व्रत (उपवास)करने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है एवं शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि होती है।

• भगवान विष्णु के भजन करने से मन की शांति उत्पन्न होती है।

• जीवो के प्रति दया का भाव रखते हुए उनकी रक्षा के लिए जैसे बिश्नोई समुदाय के लोग अपनी जान निछावर कर देते हैं उसी प्रकार भविष्य के भारत के निर्माण के लिए भी भारतीय नागरिकों को जियो कि ऐसे ही रक्षा करने की आवश्यकता है।

• इस समाज के लोग अपनी आवश्यकताओं के लिए हरा प्रेस नहीं काटते हैं अभिषेक इस भारत में भी पर्यावरण प्रदूषण कम करने के लिए हम सभी को भी हरे वृक्षों की रक्षा करनी चाहिए।

• काम, क्रोध, मोह, लोभ, का नाश करके शारीरिक एवं मानसिक तनाव से छुटकारा पाया जा सकता है।

• रसोई अपने हाथों से बनाना अर्थ आरसीएम का खाना स्वयं बनाने से भोजन में पोषक तत्व एवं गुणवत्ता का ध्यान रखकर उच्च गुणवत्ता के भोजन का सेवन किया जा सकता है।

• अमल, तंबाकू, भांग, मध, नील, खास त्याग करके कैंसर जैसे रोगों से बचा जा सकता है। भारत में इनका सेवन बढ़ता ही जा रहा है भारत के सभी नागरिकों ने का त्याग करके भविष्य के भारत को स्वच्छ एवं नशा मुक्त बना सकते हैं।

संदर्भ


लेखक एवं शोधकर्ता

मोहन चौधरी

हमसे निरंतर जुड़े रहने और सुझाव देने के लिए हमें नीचे दिए गये सोशियल मीडीया हैंडल्स पर फॉलो करना ना भूलें:

Comments

  1. बहुत ही उत्तम लेखनी का प्रयोग मोहन जी
    बिलकुल,
    कोरोना काल के समय में विश्नोई समाज के नियमों का महत्व बढ़ जाता हैं .
    समय की मांग है कि इन नियमों का पालन बड़े स्तर पर हो 😊✍👍🙏

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

मैं ही आदिवासी हूं, आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपराओं पर कविता

वे क्षेत्र जिनमें प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल समाप्त किया जा सकता है

रुकना नहीं है साथी तुझको पार समंदर जाना है