अच्छा बोएं,अच्छा काटें

 नमस्कार दोस्तों

एक बार फिर से सकारात्मकता उत्सर्जक स्रोत Samprabha समूह के ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।

आज हम बात करने जा रहे हैं कि किस प्रकार से माता पिता एवं अन्य परिवारजनों की गतिविधियों का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव घर के नौनिहालों के मानसिक विकास पर पड़ता है-

1) मनोविज्ञान के अनुसार शैशवावस्था तथा बाल्यावस्था में बालकों में जिज्ञासा अधिक होती है क्योंकि उनके लिए यह संसार पूर्णतया नवीन होता है इसलिए वे हर चीज के बारे में ज्ञान लेना चाहते हैं।  लेकिन प्राय यह देखा जाता है कि घर के बड़े सदस्य अपनी व्यस्त जिंदगी और भागमभाग के कारण बच्चों की जिज्ञासा को संतुष्ट करने के लिए झूठ से मिश्रित जवाब देते हैं क्योंकि बच्चे के लिए संसार नूतन होता है इसलिए वे दिए गए जवाब को यथावत ग्रहण कर लेते हैं। अतः इस मनोवैज्ञानिक तथ्य से परिचित होने के बाद हमें सकारात्मकता और सच्चाई के साथ बाल मन की जिज्ञासा को संतुष्ट करना चाहिए।

2) आज की दुनिया में संज्ञानात्मक विकास को आशातीत तवज्जो देने के कारण हमारे शिक्षण संस्थान और घरों में देशप्रेम सिर्फ एक शब्द तक सिमट कर रह गया है। आवश्यकता है कि देश का हर शिक्षक और माता-पिता बच्चों को सेना के कार्यों और हमारे आजादी के गौरवशाली इतिहास के बारे में बताएं ताकि इस देश  की आन, बान, शान पर कभी आंच ना आ सके।

3) वृद्ध और असहाय लोगों के प्रति सम्मान की भावना माता-पिता द्वारा दी गई शिक्षा के अनुपात में ही विकसित होती है नैतिक रूप से पतन के कारण आजकल के बहू और बेटे वृद्ध आश्रम की संख्या बढ़ाने को आतुर हो रहे हैं, हमें इस प्रकार की कुत्सित और निंदनीय मानसिकता से बचना चाहिए तथा देश की नई पीढ़ी में सम्मान और सहयोग तथा आत्मीयता की भावना विकसित हो सके।

लेखक का संदेश :- हमारी प्रथम पाठशाला अर्थात् परिवार और द्वितीय पाठशाला अर्थात् शिक्षण संस्थानों का नैतिक दायित्व है कि बच्चों में देश के प्रति सकारात्मक भावना का विकास किया जाए और वृद्धजनों के लिए असीम सम्मान और आज्ञा पालन के गुणों का विकास हो-Rajendra Mina

हमारी पोस्ट को शेयर करना ना भूलें और नवीन जानकारियों से अद्यतन रहने के लिए हमें विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल्स पर फॉलो करें।

धन्यवाद 

जय हिंद जय भारत 

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

मैं ही आदिवासी हूं, आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपराओं पर कविता

विश्नोई समाज की उपलब्धियाँ

वे क्षेत्र जिनमें प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल समाप्त किया जा सकता है