निजीकरण के अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव
सभी विषय विशेषज्ञों की भावना के अनुसार निजीकरण अमूल्य हो सकता है। जहाँ तक उच्चतर अनुकूलनशीलता और उन्नति की बात करें तो निजीकरण से अर्थव्यवस्था में तेजी आने की संभावना रहती है कार्यस्थल में सुधार होता है।
निम्नलिखित बिंदुओं की सहायता से हम निजीकरण के अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव को देखते हैं-
(1) लागत में कमी
निजीकरण से लागत में कमी आती है क्योंकि निजी स्वामित्व वाली संस्थाओं में लागत को कम करने पर विशेष ध्यान दिया जाता है जबकि सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं में लागत कम करने की ओर ध्यान कम आकर्षित होता है।
(2) निवेश में वृद्धि
सरकारी क्षेत्र के विस्तृत होने के कारण एवं देश के विकास से संबंधित अन्य कार्य होने के कारण एवं सरकार के पास वित्तीय संसाधन सीमित होने के कारण सरकार सरकारी संस्थाओं में निवेश कम कर पाती है। अगर इन संस्थाओं का निजीकरण किया जाता है तो निजी स्वामियो के पास सीमित कार्य एवं असीमित वित्तीय संसाधन होने के कारण यह निवेश अधिक कर पाएंगे जिससे इनकम बढ़ेगी और देश की जीडीपी में भी वृद्धि होगी।
(3)निजीकरण अलगाव या समाप्ति का भय पैदा करता है
सरकारी कर्मचारियों का एक पाठ चयन होने के बाद उनका वेतन पूर्ण दिया जाता है चाहे वह कार्य करें या ना करें उनको किसी विशेष एवं ठोस कारण के बिना नौकरी से नहीं हटाया जा सकता है उनको इस बात का भय नहीं होने के कारण वह अपने कार्य जिम्मेदारी और समय पर पूर्ण नहीं करते हैं जबकि निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को किसी भी समय कार्य में कमी होने, समय पर कार्य नहीं करने पर, और अपने अधिकार का दुरुपयोग करने पर, नौकरी से हटाया जा सकता है जिसका कर्मचारियों में भय रहता है और वह अच्छा कार्य करने का प्रयास करते हैं।
(4) प्रतिस्पर्धा को मजबूती
सरकारी क्षेत्र में केवल सरकार का नियंत्रण एवं नियमन होने के कारण प्रतिस्पर्धा नहीं होती है जबकि निजी क्षेत्र में एक से अधिक फर्म होने के कारण प्रतिस्पर्धा अधिक मजबूत होती है और प्रतिस्पर्धा के कारण निजी स्वामी अच्छा कार्य एवं अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं जिससे उत्पादन बढ़ता है।
(5) सरकार पर बोझ को कम करने के लिए
निजीकरण का उद्देश्य सरकार पर बोझ को कम करने का भी होता है सरकार का दायित्व सरकारी क्षेत्र की कंपनियों का संचालन नियंत्रण नियमित विकास आदी कार्य करने का दबाव रहता है सरकार अगर इनका निजीकरण करती है तो अपने दायित्वों से मुक्त हो जाएगी और अपना ध्यान अन्य मुद्दों पर आकर्षित कर सकेगी।
(6) अनावश्यक हस्तक्षेप को कम करने के लिए
इंटरनेशनल जर्नल आफ एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलपमेंट (International Journal of Advance Research and Development) के अनुसार निजीकरण से कंपनियों पर सरकार के अनावश्यक हस्तक्षेप में कमी आएगी एवं वह अपने फैसले शीघ्र एवं स्वतंत्र रूप से ले सकेंगे।
(7) अधिक अनुशासित श्रम शक्ति
निजी क्षेत्र "लागत रहित सौदेबाजी" एवं "काम के बदले दाम" "जितना काम उतना दाम" जेसी योजनाएं लागू करने के लिए स्वतंत्र है जिससे अधिक अनुशासित श्रम शक्ति का विकास होता है।
(8) देश की आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव
निजीकरण का देश की आर्थिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। निजी सरकारी खर्चों का वित्तपोषण करने और भविष्य के ऋणों का भुगतान करने के लिए निजीकरण का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए इसके बजाय निजीकरण देशों को अपने मौजूदा ऋण के एक हिस्से का भुगतान करने में सक्षम बनाता है, इस प्रकार ब्याज दरों को कम करता है, और निवेश का स्तर बढ़ाता है सार्वजनिक क्षेत्र के आकार को कम (निजीकरण करके) करके सरकार कुल खर्च को कम करती है और उन सभी व्यवसायियों पर करो का संग्रह शुरू करती है |
(9) नवाचार प्रगति को बढ़ावा देना
निजीकरण मैं आमतौर पर व्यवसाय में अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए नवाचार के साधनों को अपनाया जाता है। सार्वजनिक क्षेत्र में वित्तीय संसाधनों के अभाव के कारण नवाचार पर कम ध्यान दिया जाता है जबकि निजी क्षेत्र में नवाचार पर अधिक ध्यान आकर्षित किया जाता है।
(10) G.D.P मैं वृर्दि की संभावना
भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की बहुत बड़ी संभावना है निजीकरण कल्पनाशीलता और रचनात्मक तर्क के लिए पर्याप्त स्थान देंगा निजीकरण देश की मौद्रिक उत्थान को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष
अंतर्राष्ट्रीय जर्नल आफ एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलपमेंट अनावश्यक हस्तक्षेप को कम करने के लिए अधिक अनुशासित श्रम शक्ति | निजी क्षेत्र में व्यक्तिगत प्रोत्साहन द्वारा संचालित महंगी सौदेबाजी के माध्यम से बाहरी लोगों की समस्याओं को हल करने में प्रभावी नीतियां है | coase प्रमेय के अनुसार व्यक्तिगत पक्ष प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लागत - लाभ विश्लेषण में भाग लेंगे, जिसके परिणामस्वरूप अंतत: सबसे कुशल समाधान होगा|
जब सार्वजनिक क्षेत्र के साथ तुलना की जाती है तो निजी क्षेत्र बाजार में प्रोत्साहन अधिक देता है सार्वजनिक क्षेत्र में अक्सर गैर आर्थिक लक्ष्य होते हैं| सार्वजनिक क्षेत्र उत्थान को अधिकतम करने और संसाधनों को प्रभावी ढंग से आवंटित करने के लिए अत्यधिक प्रेरित नहीं है| जिससे सरकार को उच्च लागत, कम आय वाले उद्योग को चलाना पड़ता है निजीकरण सीधे राजनीतिक लक्ष्यों से लेकर आर्थिक लक्ष्यों तक ध्यान केंद्रित करता है और वर्तमान में निजी करण किए जाने वाले प्रत्येक संगठन पर शुल्क एकत्रित करना शुरू कर दिया जाता है।
REFERENCES
[1] www.bipublication.com
[2] shodhganga.inflibnet.ac.in
[3] int.search.tb.ask.com
[4] www.civilserviceindia.com
[5] www.scribd.com
[6] SUPRA NOTE 1
[7] theenglishmania.in
[8] www.preservearticles.com
लेखक एवं शोधकर्ता:
मोहन चौधरी
Keep it up! Mohan Ji
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