अपमान का बदला सफलता से लेने वाले रतन टाटा जी से मिलिए

  नमस्कार दोस्तों

 एक बार फिर से आप सभी का हार्दिक स्वागत है सकारात्मकता के प्रसारक समूह सम्प्रभा के ब्लॉग पर

सकारात्मक अध्ययन को प्रसारित करने के क्रम में हम आज आपके सामने प्रस्तुत हैं भारत के मुख्य औद्योगिक घराने टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन श्री रतन टाटा जी की प्रेरणादायक कहानी तथा उनके उपयोगी विचारों को लेकर

  Ratan Tata photo 

दरअसल 28 दिसंबर 1937 को जन्मे रतन टाटा साहब ने 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन के रूप में कार्यभार प्राप्त किया तथा सन् 1998 में टाटा ग्रुप ने उनके नेतृत्व में ड्रीम कार टाटा इंडिका को बाजार में उतारा लेकिन परिणाम रतन टाटा साहब के विचारों के प्रतिकूल रहे तथा अंततः टाटा समूह का कारोबार घाटे में जाने लगा, विवश होकर अपने सहकर्मियों की सलाह पर रतन टाटा साहब को अमेरिका की फोर्ड कंपनी के मुख्यालय पर अपनी कंपनी  को बेचने का प्रस्ताव लेकर जाना पड़ा तथा वहां पर फोर्ड कंपनी के चेयरमैन ने टाटा साहब के प्रस्ताव पर तंज कसते हुए कहा कि हम आपकी कंपनी खरीदकर आप पर एहसान कर रहे हैं टाटा साहब के स्वाभिमान ने उनको वहां से वापस आने पर मजबूर किया तथा अपने व्यवसाय को दोबारा से शीर्ष पर पहुंचाने की प्रेरणा दी उधर फोर्ड कंपनी का पतन आरंभ हो चुका था स्थिति यह थी कि सन 2008 में उसी फोर्ड कंपनी के चेयरमैन विलियम क्ले फोर्ड ने अपने दो सहयोगी कंपनियां टाटा ग्रुप को यह कहते हुए बेचने का प्रस्ताव रखा कि आप हमारी कंपनी खरीद कर हमारे ऊपर एहसान कर रहे हैं दोस्तों टाटा साहब कि यह प्रेरणादायक कहानी हमें बताती है कि सफल होने पर अक्सर निंदा करने वालों की राय बदल जाती है। 

तो आइए जानते हैं सफलता के लिए टाटा साहब के पांच मुख्य सुविचार…. 

लोग तुम्हारे स्वाभिमान की तब तक परवाह नहीं करेंगे जब तक तुम सफल होकर अपने आप को साबित नहीं कर देते

 सांत्वना पुरस्कार तो सिर्फ स्कूलों में मिलते हैं वास्तविक जिंदगी में हारने वाले को कोई नहीं पूछता

जिंदगी के स्कूल में वर्ग और कक्षाएं नहीं होती है वहां आपको कोई सीखने के लिए समय नहीं देता सब कुछ आपको स्वयं करना होता है

 आपके शिक्षक आपको शब्द और डरावने लगते होंगे क्योंकि अभी आपका पाला बॉस नाम के शब्द से नहीं पड़ा है

जीवन उतार-चढ़ाव से भरा होता है इसलिए इसे अपनी आदत बना लो

तो दोस्तों इस प्रकार हमने रतन टाटा साहब के अमूल्य विचारों को जानकर अपना प्रेरणा स्तर ऊंचा किया आशा है कि आप भी महान पुरुषों की तरह अपमान में फेंके गए पत्थरों का प्रयोग प्रतिषेध की बजाए अपने सपनों की इमारत को बनाने में करेंगे। 

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धन्यवाद 

जय हिंद जय भारत

WRITER-RAJENDRA MINA 

REFERENCES-

1)dhakhadbaate.com

2)vicharkranti.com


 

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