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Showing posts from December, 2020

भारतीय बैंकिंग क्षेत्र: चुनौतियाँ एवं अवसर

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बैंक  बैंक उस वित्तीय संस्था को कहते हैं जो जनता की जमाएँ स्वीकार करता है और जनता को ऋण देने का काम करता है। लोग अपनी-अपनी बचतों को सुरक्षा की दृष्टि से अथवा ब्याज कमाने हेतु इन संस्थाओं में जमा करते हैं और आवश्यकतानुसार समय-समय पर निकालते रहते हैं। बैंक इस प्रकार जमा से प्राप्त राशि को व्यापारियों एवं व्यवसायियों को ऋण देकर ब्याज कमाते हैं। आर्थिक आयोजन के वर्तमान युग में कृषि उद्योग एवं व्यापार के विकास के लिए बैंक एवं बैंकिंग व्यवस्था एक अनिवार्य आवश्यकता मानी जाती है। राशि जमा रखने तथा ऋण प्रदान करने के अतिरिक्त बैंक अन्य काम भी करते हैं। जैसे सुरक्षा के लिए लोगों से उनके आभूषण एवं बहुमूल्य वस्तुएँ जमा रखना, अपने ग्राहकों के लिए उनके चैक्स का संग्रहण करना, व्यापारिक बिलों की कटौती करना, एजेंसी का काम करना। अतः बैंक केवल मुद्रा  लेन-देन ही नहीं करते अपितु साख का व्यवहार भी करते हैं। इसलिए बैंक को साख का सृजनकर्ता भी कहा जाता है। भारतीय बैंकिंग कंपनी कानून 1949 के अनुसार - "ऋण देना और विनियोग के लिए सामान्य जनता से राशि जमा करना तथा चैकों, ड्राफ्टों तथा आदेशों द्वारा माँगने पर उ

निजीकरण के अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव

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सभी विषय विशेषज्ञों की भावना के अनुसार निजीकरण अमूल्य हो सकता है ।  जहाँ तक उच्चतर अनुकूलनशीलता और उन्नति की बात करें तो निजीकरण से अर्थव्यवस्था में तेजी आने की संभावना रहती है कार्यस्थल में सुधार होता है । निम्नलिखित बिंदुओं की सहायता से हम निजीकरण के अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव को देखते हैं- (1) लागत में कमी निजीकरण से लागत में कमी आती है क्योंकि निजी स्वामित्व वाली संस्थाओं में लागत को कम करने पर विशेष ध्यान दिया जाता है जबकि सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं में लागत कम करने की ओर ध्यान कम आकर्षित होता है । (2) निवेश में वृद्धि सरकारी क्षेत्र के विस्तृत होने के कारण एवं देश के विकास से संबंधित अन्य कार्य होने के कारण एवं सरकार के पास वित्तीय संसाधन सीमित होने के कारण सरकार सरकारी संस्थाओं में निवेश कम कर पाती है ।  अगर इन संस्थाओं का निजीकरण किया जाता है तो निजी स्वामियो के पास सीमित कार्य एवं असीमित वित्तीय संसाधन होने के कारण यह निवेश अधिक कर पाएंगे जिससे इनकम बढ़ेगी और देश की जीडीपी में भी वृद्धि होगी ।         (3)निजीकरण अलगाव या समाप्ति का भय पैदा करता है सरकारी कर्मचारियों

भारतीय अर्थव्यवस्था पर रतन टाटा का कारोबार और उसका प्रभाव

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हैलो दोस्तों, रतन टाटा जी का नाम भारत के पूरे उद्योग जगत में मशहूर है तो आज हम उन्हीं के बारे में पढ़ने वाले हैं कि उन्होंने ऐसा क्या किया कि उनका नाम इतना प्रसिद्ध हो गया । रतन टाटा की सामान्य जानकारी रतन टाटा पिछले 50 सालों से टाटा समूह से जुड़े हुए हैं वे 21 सालों तक टाटा समूह के अध्यक्ष रहे । रतन टाटा ने "जे आर डी टाटा के बाद 1991 में कार्यभार संभाला । रतन टाटा वर्तमान में टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन है । टाटा समूह के उत्पाद  टाटा समूह की लगभग 96 कंपनियां सात अलग-अलग व्यवसायिक क्षेत्रों में सक्रिय हैं इनमें से 28 public listed कंपनियां हैं: टाटा समूह की सहायक कंपनियाँ 1. ताज होटल 2. टाटा मोटर्स 3. टाटा स्टील 4. टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज 5. टाटा स्टील यूरोप 6. टाइटन इंडस्ट्रीज 7. टाटा पावर 8. टाटा टेलिसर्विसेज 9. टाटा कम्युनिकेशन 10. क्रोमा 11. टाटा ग्लोबल बेवरेजेस 12. ट्रेंट  13. वोल्टास 14. टाटा केमिकल्स 15. टाटा कैपिटल 16. एयर एशिया इंडिया 17. टाटा एलेक्सी 18. टाटा टेक्नोलॉजीज 19. इंडियन होटल्स कंपनी 20. टाटा कॉफी 21. टाटा पावर सोलर 22. टाटा देवू 23. जिंजर होटल 24. टाटा इन्वेस्टमे

अपमान का बदला सफलता से लेने वाले रतन टाटा जी से मिलिए

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  नमस्कार दोस्तों  एक बार फिर से आप सभी का हार्दिक स्वागत है सकारात्मकता के प्रसारक समूह सम्प्रभा के ब्लॉग पर सकारात्मक अध्ययन को प्रसारित करने के क्रम में हम आज आपके सामने प्रस्तुत हैं भारत के मुख्य औद्योगिक घराने टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन श्री रतन टाटा जी की प्रेरणादायक कहानी तथा उनके उपयोगी विचारों को लेकर     दरअसल 28 दिसंबर 1937 को जन्मे रतन टाटा साहब ने 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन के रूप में कार्यभार प्राप्त किया तथा सन् 1998 में टाटा ग्रुप ने उनके नेतृत्व में ड्रीम कार टाटा इंडिका को बाजार में उतारा लेकिन परिणाम रतन टाटा साहब के विचारों के प्रतिकूल रहे तथा अंततः टाटा समूह का कारोबार घाटे में जाने लगा, विवश होकर अपने सहकर्मियों की सलाह पर रतन टाटा साहब को अमेरिका की फोर्ड कंपनी के मुख्यालय पर अपनी कंपनी  को बेचने का प्रस्ताव लेकर जाना पड़ा तथा वहां पर फोर्ड कंपनी के चेयरमैन ने टाटा साहब के प्रस्ताव पर तंज कसते हुए कहा कि हम आपकी कंपनी खरीदकर आप पर एहसान कर रहे हैं टाटा साहब के स्वाभिमान ने उनको वहां से वापस आने पर मजबूर किया तथा अपने व्यवसाय को दोबारा से शीर्ष पर पहुंचाने की

भारतीय वैज्ञानिकों के विचारों की भविष्य में उपादेयता

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नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका सम्प्रभा में। आज हम बात करने जा रहे हैं प्राचीन एवं आधुनिक भारतीय वैज्ञानिकों के कार्यों एवं विचारों के बारे में। आइए एक - एक करके उनसे मिलने वाली प्रेरणाओं की चर्चा करते हैं- आर्यभट्ट आर्यभट्ट जी हमारे देश के बहुत प्रसिद्ध एवम् महान् ज्योतिषविद् एवम् गणितज्ञ रहे। उनकी रचनाएं शोध के नए आयाम स्थापित करती हैं। हमें जरूरत है कि उनसे प्रेरणा लेकर हम इन क्षेत्रों में शोध संबंधी कार्यों को गति प्रदान करें। नवीन खोज के लिए प्रतिबद्ध हों, शिक्षा व्यवस्था और शिक्षण के उन प्रतिमानों का दोहराव करें जो आधुनिक समाज की एक बहुत बड़ी आवश्यकता है। चरक चरक जी आयुर्वेद के क्षेत्र में बहुत बड़ा नाम हैं। आज के विश्व में आयुर्वेद चिकित्सा के एक महत्त्वपूर्ण उपागम के रूप में उभर रहा है जिसका श्रेय बहुत हद तक चरक जी को जाता है, जीवनशैली में आवश्यक बदलाव लाकर एक निरोगी जीवन जीने का आधार प्रदान करने वाले ऐसे वैज्ञानिक से प्रेरणा लेकर हमें भी आयुर्वेद के उपागम की ओर बढ़कर तथा इस दिशा में शोध को उन्नत करने की आवश्यकता है। सुश्रुत चरक जी की भाँति ही सुश्रुत जी भी अपने समय के महान आय

प्राचीन भारत के प्रमुख चार वैज्ञानिक और उनकी उपलब्धियां

 नमस्कार दोस्तों एक बार फिर से स्वागत है आपका Samprabha ग्रुप  के ब्लॉग पर,  हमेशा की तरह जिज्ञासा को शांत करने वाले और  सकारात्मक तथा प्रेरणादायी विषयों पर चर्चा करने के क्रम में आज हम प्राचीन भारत के  प्रमुख चार वैज्ञानिकों के बारे में आपसे चर्चा करने जा रहे हैं  1.आचार्य सुश्रुत:-  भारत में  शल्य चिकित्सा का जनक माने जाने वाले आचार्य सुश्रुत का जन्म ऋषि विश्वामित्र के कुल में हुआ था। उनके द्वारा ईसा पूर्व छठी ईस्वी में चिकित्सा साहित्य में अब तक का सर्वाधिक प्रासंगिक ग्रंथ सुश्रुत संहिता लिखा गया इसमें प्राचीन भारतीय संस्कृति की चिकित्सा व्यवस्था तथा आचार्य सुश्रुत की शिक्षाओं का विस्तार से वर्णन मिलता है। शल्य शब्द का अर्थ होता है पीड़ा, अर्थात् शल्य चिकित्सा के अंतर्गत प्राचीन समय में होने वाले युद्ध में घायल सैनिकों को बाण आदि के द्वारा हुए जख्मो में होने वाली पीड़ा का मंत्रोच्चार आदि से निवारण शामिल था।  आचार्य सुश्रुत ने 125 से अधिक चिकित्सा उपकरणों का निर्माण किया था तथा वह 300 से अधिक ऑपरेशन विधियों का ज्ञान रखते थे।  वे कॉस्मेटिक सर्जरी, मोतियाबिंद के ऑपरेशन तथा स्त्री रोग व

सौर ऊर्जा की आवश्यकता

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सौर ऊर्जा सूर्य के प्रकाश से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं । सौर ऊर्जा का उपयोग सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा प्रदूषण रहित ऊर्जा का असीमित स्त्रोत है ।  सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा सभी प्रकार की ऊर्जा का प्राथमिक रूप है सौर ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा में भी बदला जा सकता है । राजस्थान में सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन राजस्थान अक्षय ऊर्जा विकास निगम (RREC) राजस्थान में गैर परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत के उत्पादन को प्रोत्साहन देने का कार्य करता है । राजस्थान में सौर ऊर्जा के प्रयोग की आवश्यकता  राजस्थान में सौर ऊर्जा के प्रयोग की निम्नलिखित आवश्यकताएं हैं- 1. सौर ऊर्जा फ्रिज राजस्थान में सौर ऊर्जा फ्रिज जोधपुर जिले में बालेसर उच्चीकृत प्राथमिक चिकित्सा केंद्र में लगाया गया था । राजस्थान के प्रत्येक जिले के प्रत्येक बड़े-बड़े प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों पर सौर ऊर्जा फ्रिज की स्थापना की आवश्यकता है । 2. कृषि में सौर ऊर्जा की आवश्यकता राजस्थान के किसानों की सरकार से एक शिकायत हमेशा रही है कि सरकार सिंचाई के लिए बिजली की आपूर्ति रात में  करवाती है । इस