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Recycling and other possible alternatives of plastic

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Hello, my dear friends, How are you? I hope will be safe and will be enjoying your journey. My dear friends as we all are familiar with the fact that the environment is a crucial part of our life but are you aware of the fact that how non-decomposable plastic is decomposing our environment?  I think all of you have heard about this but today your positive-mate SAMPRABHA is going to discuss the alternatives of plastic- Edible spoons, forks and chopsticks we can eat easily because they are being made of sorghum, rice, and wheat flour.  We ask for plastic bags for every single thing in our daily life, but do you know the replacement of these bags may be silicon bags that are better than these.   Stone Wool - T his another option to be used at the place of plastic, stone wool generally don't catch fire.  Use eco-friendly boards - Use of boards is not any rare thing now, we can replace them with eco-friendly boards.  Give priority to bio-degradable plastics than the traditional type o

मानगढ़ हत्याकांड तथा खरसावां गोलीकांड

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नमस्कार साथियों, एक बार फिर से आपका स्वागत है सकारात्मकता की दुनिया "संप्रभा" में। आज हम बात करेंगे मानगढ़ हत्याकांड और खरसावां गोलीकांड के बारे में। अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें सकारात्मक क्या है तो साथियों मैं बता दूं कि इसमें सकारात्मक अपने हितों की रक्षा के लिए लड़ रहे लोगों की मजबूती, आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प, संघर्ष, और अपने साथ गलत हो रहे व्यवहार के खिलाफ लड़ने का साहस सकारात्मक है । अब हम पढ़ते हैं सबसे पहले मानगढ़ हत्याकांड  एक जलियांवाला बाग राजस्थान गुजरात में भी 13 अप्रैल 1919, जलियांवाला बाग, अमृतसर, पंजाब, इस घटना को तो शायद पूरे भारतीय लोग जानते होंगे पर ऐसा ही दर्दनाक और वीभत्स हत्याकांड राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित मानगढ़ की पहाड़ी पर अंग्रेजों ने 17 नवंबर 1913 को किया जिसमें1500 से ज्यादा भीलो को मौत के घाट उतार दिया गया। क्यों हुआ मानगढ़ हत्याकांड  गोविंद गुरु,एक सामाजिक कार्यकर्ता थे तथा आदिवासियों को जागरूक करने का काम करते थे इन्होंने 1890 में एक आंदोलन शुरू किया। जिसका नाम दिया गया "भगत आंदोलन" इसका मुख्य उद्देश्य आदिवासियों को जागरूक क

वर्तमान समय में ध्यान की आवश्यकता एवं इसकी सही विधि

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नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका संप्रभा के ब्लॉग पर। वर्तमान समय मुश्किलों से भरा है। हम आए दिन कोरोना के कारण कोई न कोई बुरी खबर सुन रहे हैं।  ऐसे समय में तनाव आना स्वाभाविक है परन्तु इस प्रकार का तनाव हमारे स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। इससे कहीं न कहीं हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होती है।  मन एवं शरीर पारस्परिक रूप से प्रभावित होते हैं अर्थात् मन अच्छा हो तो शरीर के स्वस्थ होने की प्रवृत्ति बढ़ती है तथा शरीर स्वस्थ होने पर मन प्रफुल्लित रहता है। अतः: आवश्यकता है कि ऐसे माहौल में हम खुद को स्वस्थ बनाने की ओर एक कदम बढ़ाएँ। इसी लिए आज के हमारे आलेख का विषय है: 'ध्यान'।  ध्यान के द्वारा मस्तिष्क के तनाव को कम करने में मदद मिलती है। यदि हमें अपने मन पर नियंत्रण करना एवं आत्मनिरीक्षण सीखना चाहते हैं तो हमें ध्यान करने की आवश्यकता है। इसके द्वारा हम अपनी अंतर्मन की गहराइयों में झांक सकते हैं जिससे हम स्वयं में जागरूकता विकसित कर सकते हैं। वर्तमान में मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित एक गंभीर समस्या है चिंता एवं अधिक सोच (overthinking। इससे राहत पाने का कारगर साधन

प्लास्टिक प्रदूषण कम करने हेतु तकनीकी नवाचार

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नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका सकारात्मकता को समर्पित ' संप्रभा ' के ब्लॉग पर। जैसा कि हम सब जानते हैं कि वर्तमान में प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है। इस सन्दर्भ में विभिन्न पक्ष उल्लेखनीय हैं चाहे वह वायु हो, जल या फिर भूमि इन सभी के प्रदूषण से पृथ्वी पर जीवन को खतरा पैदा हो रहा है।  वायु प्रदूषण की स्थिति , कारणों और तकनीकी नवाचार आधारित समाधानों पर हम चर्चा कर चुके हैं। आज हम चर्चा करने जा रहे हैं भूमि और जल को प्रदूषित करने वाले एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण कारक प्लास्टिक की। वर्तमान में यह अत्यंत चिंतनीय विषय बना हुआ है इस ब्लॉग में हम इस प्रदूषण से निबटने के तकनीकी पहलुओं की बात करेंगे। इस समस्या से तकनीकी तौर पर निबटने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ [1] ने निम्न रूपरेखा सुझाई है: यहाँ हम मुख्यतः प्रथम चरण की बात करेंगे क्योंकि आगे के कदम प्रथम चरण पर ही काफी हद तक निर्भर करते हैं: नैनोटेक्नोलाजी का इस्तेमाल   नैनोटेक्नोलाजी के उपयोग द्वारा गत्ते और कागज जैसे पदार्थों को उनके प्रयोग क्षेत्र के अनुरूप ढाला जा सकता है।जैसे- गत्ते पर जल प्रतिरोधक नैनोमेटेरिअल की को

"जान है तो जहान है"

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नमस्कार साथियों, सकारात्मकता से प्रज्वलित भारत में आप सभी का हार्दिक अभिनंदन 🙏 । आज हम बात करेंगे कि यातायात नियमों का हमारे जीवन को संरक्षित रखने में कितना महत्वपूर्ण योगदान है।वाहन चलाते समय हमें सबसे महत्वपूर्ण बात हमेशा धयान में रखनी चाहिए कि घर पर कोई हमारा इंतज़ार कर रहा है। यातायात नियम हमारी सुरक्षा के लिए बनाए गए है ना कि हमारी बाध्यता के लिए, इसीलिए स्वयं तथा दूसरों की सुरक्षा के लिए हमे कठोरतापूर्वक यातायात नियमों  का पालन करना चाहिए । तो आइए, समझते है कि प्रमुख यातायात नियमों  के माध्यम से सड़क दुर्घटनाओं को किस प्रकार नियंत्रित किया जाए -  दुर्घटना कारण  - ओवरटेक  यातायात नियम - वाहन चलाते समय किसी से रेस ना लगायेे / ओवरटेक ना करेे । नियम की आवश्यकता-   यह ज़रूरी नही  कोई आपसे आगे निकल गया है तो आप भी उससे आगे निकले। नियमो में निर्धरित गति सीमा मेंं  वाहन चलाने पर ही हमारी तथा दूसरो की सुरक्षा बनी रहती है । दुर्घटना कारण  - हेलमेट एवं सीटबेल्ट का उपयोग ना करना । यातायात नियम - दुपहिया वाहन पर हेलमेट तथा चौपहिया वाहन पर सीटबेल्ट का प्रयोग करे । नियम की आवश्यकता - अधिकांश लोग

बजट 2021-22 के सुधारात्मक बिंदु एवं उनके सुधार

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नमस्कार दोस्तों एक बार फिर से आपका स्वागत है सकारात्मकता की दुनिया "सम्प्रभा" में। आज हम बात करेंगे बजट 2021 - 22 की कुछ ऐसे सुधारात्मक बिंदु जिन में और सुधार किया जा सकता था उन्हें हम कमियां नहीं कहेंगे क्योंकि बजट बनाते समय सभी बातों एवं स्थितियों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है और कमियां किसी चीज में नहीं होती है बस नजरिया होता है देखने का। इसलिए हम यहां बजट के साथ कमियां शब्द का प्रयोग ना करके सुधारात्मक शब्द का प्रयोग करेंगे और दोस्तों आपको बता दें कि इस ब्लॉग में हम ज्यादा आंकड़ों पर बात नहीं करेंगे और दोस्तों आपको सुधारात्मक बिंदु बताने के साथ-साथ उन में क्या सुधार किए जा सकते थे यह भी बताएंगे इसलिए ब्लॉग को पूरा पढ़ना जरूर और अच्छा लगे तो अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करना। सुधारात्मक बिंदु एवं उनमें किये जा सकने वाले सुधार 1. शिक्षा बजट में कमी  वित्त वर्ष 2020 - 21 के मूल बजटीय आवंटन में शिक्षा मंत्रालय को 99,311.52 करोड रुपए आवंटित किए गए थे हालांकि कोरोना महामारी के कारण शिक्षा प्रभावित रही थी जिसके कारण बजट में संशोधन करके शिक्षा मंत्रालय के बजट को 85,089 करोड रुपए