वर्तमान समय में ध्यान की आवश्यकता एवं इसकी सही विधि
नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका संप्रभा के ब्लॉग पर। वर्तमान समय मुश्किलों से भरा है। हम आए दिन कोरोना के कारण कोई न कोई बुरी खबर सुन रहे हैं। ऐसे समय में तनाव आना स्वाभाविक है परन्तु इस प्रकार का तनाव हमारे स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है। इससे कहीं न कहीं हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होती है। मन एवं शरीर पारस्परिक रूप से प्रभावित होते हैं अर्थात् मन अच्छा हो तो शरीर के स्वस्थ होने की प्रवृत्ति बढ़ती है तथा शरीर स्वस्थ होने पर मन प्रफुल्लित रहता है। अतः: आवश्यकता है कि ऐसे माहौल में हम खुद को स्वस्थ बनाने की ओर एक कदम बढ़ाएँ। इसी लिए आज के हमारे आलेख का विषय है: 'ध्यान'।
ध्यान के द्वारा मस्तिष्क के तनाव को कम करने में मदद मिलती है। यदि हमें अपने मन पर नियंत्रण करना एवं आत्मनिरीक्षण सीखना चाहते हैं तो हमें ध्यान करने की आवश्यकता है। इसके द्वारा हम अपनी अंतर्मन की गहराइयों में झांक सकते हैं जिससे हम स्वयं में जागरूकता विकसित कर सकते हैं। वर्तमान में मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित एक गंभीर समस्या है चिंता एवं अधिक सोच (overthinking। इससे राहत पाने का कारगर साधन भी ध्यान ही है। यदि हम अपना ध्यान गैर जरुरी चीजों से हटाकर शुद्ध और निर्मल मौन में जाना चाहते हैं तो ध्यान अत्यंत आवश्यक है। इससे आत्मिक एवं मानसिक शक्तियों का भी विकास होता है।
ध्यान की विधि
- ध्यान में जाने से पहले सूक्ष्म क्रियाएँ करनी होतीं हैं। शरीर के सभी जोड़ों का बारी-बारी से व्यायाम करना उपयुक्त रहता है।
- सुखासन में बैठकर आखें बंद करें और चेहरे पर मुस्कान बनाएँ रखें।
- इसके बाद हमें गहरी लम्बी साँस लेनी और छोड़नी होती है। साथ ही इसके बाद तीन बार ॐ का जाप करना होता है।
- इसके बाद अनुलोम-विलोम प्राणायाम के 9 चक्र करने होते हैं। इसके तुरंत बाद हम ध्यान में जा सकते हैं। इसके लिए कोई कोशिश नहीं करते हैं । बस साँसों पर ध्यान लगते हैं। आती-जाती साँसों पर अपने मन को ले जाना होता है। मन में जो विचार आ रहे हैं आने दें, रोके नहीं। विचार आएंगे खुद चले जाएँगे। कुछ देर के लिए मन खली होगा। फिर विचार आएंगे और फिर चले जाएँगे। 20 मिनट के बाद जब मन करे, सहजता से आँखें खोल सकते हैं।
- कुछ दिनों के अभ्यास से धीरे-धीरे अपने आप विचार कम होने लगते हैं और ध्यान लगने लगता है।
सावधानियाँ
- ध्यान के लिए ऐसा समय चुनना चाहिए जिसमें आपको कोई परेशान न कर सके। सूर्योदय और सूर्यास्त का समय इसके लिए उपयुक्त है।
- इसमें सीधा बैठना होता है तथा रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए। कंधे और गर्दन आरामदायक स्थिति में हों और पूरी प्रक्रिया के दौरान आँखें बंद रहनी चाहिए।
- अगर शाम के समय ध्यान करना हो तो ध्यान रखना है कि कम से कम तीन घंटे से कुछ खाया न हो।
- ध्यान के बाद आँखों को धीरे धीरे खोलना होता है। कोई भी जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए। साथ ही आँखें खोलने के बाद स्वयं को बाह्य वातावरण के प्रति सजग होने के लिए समय देना चाहिए।
- आदर्श स्थिति यह है कि सुबह और शाम दोनों समय 20-20 मिनट ध्यान किया जाए, अगर इतना समय नहीं हो तो कम समय के लिए भी ध्यान में बैठा जा सकता है।
- ध्यान के समय कब बाहर आना है इसके लिए अलार्म का प्रयोग नहीं करना है। कभी-कभार कुछ समय कम भी रह जाए तो चिंता नहीं करनी है।
सन्दर्भ
सन्दर्भ समीक्षा
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बहुत-बहुत धन्यवाद।
बहुत ही सुन्दर जानकारी 😍
ReplyDeleteThank you
DeleteThanks, for helping us in this tough time, where most of media outlets are spreading negativity and negative news, thanks samprabha for making us positive. 🔥
ReplyDeleteThank you Ji_/\_
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