बजट 2021-22 के सुधारात्मक बिंदु एवं उनके सुधार

नमस्कार दोस्तों एक बार फिर से आपका स्वागत है सकारात्मकता की दुनिया "सम्प्रभा" में।

आज हम बात करेंगे बजट 2021 - 22 की कुछ ऐसे सुधारात्मक बिंदु जिन में और सुधार किया जा सकता था उन्हें हम कमियां नहीं कहेंगे क्योंकि बजट बनाते समय सभी बातों एवं स्थितियों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है और कमियां किसी चीज में नहीं होती है बस नजरिया होता है देखने का।

इसलिए हम यहां बजट के साथ कमियां शब्द का प्रयोग ना करके सुधारात्मक शब्द का प्रयोग करेंगे और दोस्तों आपको बता दें कि इस ब्लॉग में हम ज्यादा आंकड़ों पर बात नहीं करेंगे और दोस्तों आपको सुधारात्मक बिंदु बताने के साथ-साथ उन में क्या सुधार किए जा सकते थे यह भी बताएंगे इसलिए ब्लॉग को पूरा पढ़ना जरूर और अच्छा लगे तो अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करना।



सुधारात्मक बिंदु एवं उनमें किये जा सकने वाले सुधार

1. शिक्षा बजट में कमी 

वित्त वर्ष 2020 - 21 के मूल बजटीय आवंटन में शिक्षा मंत्रालय को 99,311.52 करोड रुपए आवंटित किए गए थे हालांकि कोरोना महामारी के कारण शिक्षा प्रभावित रही थी जिसके कारण बजट में संशोधन करके शिक्षा मंत्रालय के बजट को 85,089 करोड रुपए रखा गया था।

बजट 2021 - 22 के लिए स्कूली शिक्षा विभाग को 54,877 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं जो पिछले बजट में 59,845 करोड़ रुपए थे। उच्च शिक्षा विभाग को इस साल 38,350 करोड रुपए का आवंटन किया गया था जो पिछले साल 39,466.52 करोड़ रुपए रहा था।

अब बात करते हैं कि इसमें गलत क्या है

एक देश की रीड की हड्डी होती है शिक्षा, और देश की शिक्षा व्यवस्था कमजोर रहेगी तो देश का विकास कमजोर रहेगा कोरोना महामारी में लगभग 11 महीने तक स्कूली शिक्षा एवं उच्च शिक्षा दोनों प्रभावित रही। और ऐसी स्थिति में शिक्षा मंत्रालय को बजट आवंटन में कमी देश के बजट की कमजोरी को दर्शाती है ।

इसमें क्या सुधार किए जा सकते थे?

लगभग 11 महीने से स्कूल और कॉलेज बन्द थे ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों की शिक्षा व्यवस्था कमजोर हुई है इसे वापस पटरी पर लाने के लिए सरकार को इस बजट में कुछ ठोस घोषणा शिक्षा मंत्रालय के लिए करनी चाहिए थी साथ ही इस साल बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए पिछले साल के मुकाबले शिक्षा मंत्रालय के पिछले बजट आवंटन से 20 - 50 प्रतिशत अधिक आवंटन करना चाहिए था जिससे कोरोनावायरस के कारण लगभग 11 महीने स्कूली एवं उच्च शिक्षा बाधित रही उसकी भरपाई की जा सकती थी।

2. रसोई गैस पर सब्सिडी का फंड 62.2 प्रतिशत तक घटाया:

बजट 2021 - 22 की सबसे बड़ी कमजोरी यह रही कि कोरोना महामारी के लॉकडाउन के बाद से आज तक घरेलू वस्तुएं जैसे तेल, दाल, चाय, आदि पहले से बहुत ज्यादा महंगी हो गई और लोगों के वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं है साथ ही बहुत लोगों की नौकरियां भी खत्म हो गई है इस समय में सरकार रसोई गैस पर सब्सिडी का फंड 62.2% तक कम कर के लोगों की परेशानी बढ़ा रही है लोगों का वेतन सीमित है पर रोजमर्रा में उपयोग होने वाली वस्तुओं के मूल्य पहले ही काफी बढ़ चुके हैं ऐसी स्थिति में सरकार रसोई गैस पर सब्सिडी का फंड 62.2 प्रतिशत तक कम कर रही है यह आम आदमी की दृष्टि से बजट 2021-22 की सबसे बड़ी कमजोरी रही है।

इसमें कैसे सुधार किया जा सकता था?

आम आदमी पर पहले ही महंगाई की मार इस साल बहुत अधिक हुई है ऐसी स्थिति में सरकार रसोई गैस पर सब्सिडी के संबंध में निम्न फैसले ले सकती थी-

  • सरकार इस साल तो कम से कम सब्सिडी का बजट कम नहीं करती क्योंकि अगले साल तक लोग कोरोना महामारी कि मार से शायद उभरते और उनके उद्योग - धंधे पहले की तरह ही संचालित होने लगते तो लोगों की आर्थिक स्थिति भी ठीक होती तो उस समय सरकार रसोई गैस सब्सिडी का बजट कम करती तो लोगों पर ज्यादा भार उत्पन्न नहीं होता।
  • अगर फिर भी सरकार को रसोई गैस पर सब्सिडी का बजट कम ही करना था तो इस साल  20% तक ही कम करती  । जिससे लोगों को कुछ राहत भी रहती और सरकार से उम्मीद भी रहती।

3. कृषि बजट की समस्याएँ

दोस्तों बजट 2021 - 22 कृषि बजट की समस्याओं में हम बजट 2020-21 और 2021-2022 से तुलना करके कमियां नहीं बताएंगे क्योंकि वर्तमान समय में किसान सरकार से नाराज चल रहे हैं और इस स्थिति में कृषि बिल के आंकड़ों पर बात करना उचित नहीं है हम यहां कृषि से संबंधित जो मुख्य समस्याएँ हैं उसी के बारे में बात करेंगे।      

  • किसान सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं इसके बावजूद पिछले बजट की तुलना में इस बजट में किसानों के लिए कुछ खास घोषणाएं नहीं है।
  • इस बजट में पीएम किसान सम्मान निधि का बजट भी 15.4 प्रतिशत घटा दिया है।

सुधारात्मक बिंदु

(1) सुधारात्मक बिंदुओं में हम बात करते हैं कि अगर इस बजट में किसान कर्ज माफी संबंधी घोषणाएं करके सरकार किसानों के गुस्से को शांत कर सकती थी और किसानों के सर से कर्ज के बोझ को भी कम कर सकती थी।

(2) पीएम किसान सम्मान निधि का बजट नहीं घटाना चाहिए था क्योंकि किसान सरकार से पहले ही नाराज थे और इस समय यह कदम उठाकर सरकार ने किसानों को और ज्यादा नाराज कर दिया है इसके स्थान पर किसान सम्मान निधि का बजट जितना घटाया है उतना ही बढ़ाना चाहिए था।

(3) मेरे अनुसार इस बजट में किसानों के लिए उर्वरक, खाद, बीज, कीटनाशक आदि पर सब्सिडी का बजट बनाया जा सकता था जिसके कारण किसान अधिक उपज करने के लिए प्रोत्साहित होते और किसानों का सरकार के प्रति जो गुस्सा है वह भी कम हो सकता था।

4. रोजगार की समस्या

हमारे देश में रोजगार पहले से प्रभावित रहा है लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद और स्थिति बिगड़ी है कोरोना काल में अनेक लोगों के रोजगार खत्म हुए हैं और इस बजट 2021 - 22 से बेरोजगारों को मोदी सरकार से उम्मीद थी कि वह बेरोजगारों के लिए इस बजट सत्र में कुछ मुख्य एवं बड़ी घोषणा करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इस साल बेरोजगारों के लिए बजट में कुछ खास घोषणाएं नहीं हुई।

इस समस्या के सुधारात्मक बिंदु:

(1) बेरोजगारों के दृष्टिकोण से राष्ट्रीय बेरोजगारी भत्ते की घोषणा करके उन्हें राहत दी जा सकती थी

(2) कुछ मुख्य क्षेत्रों में रोजगार से संबंधित बड़ी घोषणा की जा सकती थी

(3) बेरोजगारों को लघु उद्योगों के लिए फंक्शन दिया जा सकता था जिससे वह अपना लघु उद्योग लगा सकते थे इससे देश की जीडीपी भी बढ़ती। और बेरोजगारों को रोजगार भी मिलता।

(4) लघु उद्योग स्थापित करने के लिए सस्ती दर पर अधिक लोन उपलब्ध करवाने के लिए बजट में मुख्य घटनाएं हो सकती थी जिससे लोगों को सस्ती दर पर लोन मिलता तो वह लघु उद्योग स्थापित कार्य के देश की जीडीपी में अपना योगदान दे सकते थे।

(अभी लघु उद्योग स्थापित करने के लिए लोन सीमित मात्रा में मिलता है और साथ ही अनेक कागजी कार्यवाही करनी पड़ती है कागजी कार्रवाई के डर से अधिकांश युवा अपने लघु उद्योगों के लिए लोन लेने से डरते हैं।

(5) नए लघु उद्यमियों को अधिक से अधिक प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि अधिक से अधिक बेरोजगार युवा लघु उद्योग स्थापित कर सकें।

शोधकर्ता (लेखक)

मोहन चौधरी

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