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अच्छा बोएं,अच्छा काटें

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 नमस्कार दोस्तों एक बार फिर से सकारात्मकता उत्सर्जक स्रोत Samprabha समूह के ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है। आज हम बात करने जा रहे हैं कि किस प्रकार से माता पिता एवं अन्य परिवारजनों की गतिविधियों का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव घर के नौनिहालों के मानसिक विकास पर पड़ता है- 1) मनोविज्ञान के अनुसार शैशवावस्था तथा बाल्यावस्था में बालकों में जिज्ञासा अधिक होती है क्योंकि उनके लिए यह संसार पूर्णतया नवीन होता है इसलिए वे हर चीज के बारे में ज्ञान लेना चाहते हैं।  लेकिन प्राय यह देखा जाता है कि घर के बड़े सदस्य अपनी व्यस्त जिंदगी और भागमभाग के कारण बच्चों की जिज्ञासा को संतुष्ट करने के लिए झूठ से मिश्रित जवाब देते हैं क्योंकि बच्चे के लिए संसार नूतन होता है इसलिए वे दिए गए जवाब को यथावत ग्रहण कर लेते हैं। अतः इस मनोवैज्ञानिक तथ्य से परिचित होने के बाद हमें सकारात्मकता और सच्चाई के साथ बाल मन की जिज्ञासा को संतुष्ट करना चाहिए। 2) आज की दुनिया में संज्ञानात्मक विकास को आशातीत तवज्जो देने के कारण हमारे शिक्षण संस्थान और घरों में देशप्रेम  सिर्फ एक शब्द तक सिमट कर रह गया है। आवश्यकता है कि देश

बिश्नोई समाज के 29 नियम उनके अनुपालन से भारत के भविष्य की राह

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बिश्नोई समुदाय के 29 नियमों को जानने से पहले हम बिश्नोई समुदाय को संक्षेप में समझते हैं कौन हैं बिश्नोई जिन्हें प्रकृति के प्रति प्रेम के लिए जाना जाता है इस समाज के लोग जानवरों को भगवान समझते हैं और इसके लिए यह लोग अपनी जान तक देने को तैयार रहते हैं बिश्नोई 20 और नोई से मिलकर बना है इस समाज के लोग  29 नियमों को पालन करते हैं। "29 धर्म की आखिरी हृदय दरियो जोय / जंभोजी कृपा करी नाम बिश्नोई होय" जांभोजी ने 29 नियम बताए थे जो निम्न प्रकार है 1. प्रतिदिन प्रातः काल स्नान करना 2. 30 दिन जनन सूतक मनाना 3. 5 दिन राजस्वता स्त्री को गृह कार्य से मुक्त रखना 4. शील का पालन करना 5. संतोष का धारण करना 6. बाहरी एवं आंतरिक सुरक्षा एवं पवित्रता को बनाए रखना 7. तीन समय संध्या उपासना करना 8. संध्या के समय आरती करना एवं ईश्वर के गुणों के बारे में चिंतन करना 9. निष्ठा एवं प्रेम पूर्वक हवन करना 10. पानी ईंधन व दूध को छान-बीन कर प्रयोग में लेना 11. वाणी का संयम करना 12. दया एवं क्षमाको धारण करना निम्न का त्याग करना 13. चोरी 14. निंदा 15. झूठ 16. वाद विवाद 17. अमल 18. तंबाकू 19. भांग 20. मध 21. नील

नशे की प्रवृत्ति को समाज से कैसे दूर किया जाए

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नशा - नशे की लत की शुरुआत समाज के द्वारा तो नहीं की जाती हैं  पर अगर  समाज चाहे तो नशे की प्रवृत्ति को कम जरूर कर सकता है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए बाहरी दुनिया की शुरुआत में  सबसे पहले हम समाज को शामिल करते हैं और यही समाज व्यक्ति के महत्वपूर्ण सामाजिक निर्णयों  में भागीदार भी बनता है। व्यक्ति से नशे जैसी अवांछनीय आदत को दूर करने में समाज व बाहरी कड़ियों को हम देखते हैं जिनके माध्यम से हम जान पाएंगे कि इससे कैसे छुटकारा पाया जाए- 1. नशे के खिलाफ एकजुट होना होगा- नशे जैसी बुरी लत से व्यक्ति अकेला नहीं लड़ सकता इसमें सामूहिक योगदान बहुत महत्वपूर्ण है इसमें समाज के विशिष्ट व्यक्तियों को आगे आकर इसके खिलाफ एकजुट होना पड़ेगा। 2. नशीले पदार्थों पर सरकार रखे पैनी नजर-  इस बात से कोई भी अनजान नहीं है कि नशीले पदार्थों का सेवन करने से कई लोगों के परिवार तबाह हो गए हैं, फिर भी सरकारें यह सब कुछ जान कर भी अनजान बनी हुई हैं। सरकारों को तय समय पर ठोस कदम उठाने चाहिए। एक रिसर्च के अनुसार भारत में तंबाकू के सेवन से हर साल 1050000 लोगों की मौत होती है यह एक चिंता का भी  विषय है और सोचने का भी। अगर सर

विश्नोई समाज की उपलब्धियाँ

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विश्नोई समाज की अब तक की विशेष उपलब्धियां विश्नोई एक पंथ है, एक संप्रदाय है, एक धार्मिक समुदाय है और इन सबसे महत्वपूर्ण यह है एक नियमों और  संहिताओं  का मिश्रण जिनका पालन ही इस संप्रदाय का भागीदार होना है । समय-समय पर इस समाज के लोगों द्वारा कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए जो इनकी उपलब्धियों के रूप में भी याद किए जाते हैं, इन्हीं महान उपलब्धियों के कारण यह समाज संपूर्ण विश्व में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहा है । उन्हीं महान कार्यों में से कुछ प्रमुख और महत्वपूर्ण कार्यों पर हम नजर डालते हैं - 1. अमृता देवी विश्नोई का बलिदान इस समाज का गौरव जिसे यह समाज माँ  का दर्जा देता है, उन्हीं का बलिदान समाज के द्वारा पर्यावरण के लिए किए गए महान कार्यों में गिना जाता है । 12 सितंबर सन्  1730 में अमृता देवी विश्नोई सहित 363 बिश्नोई खेजड़ी के वृक्ष को बचाने के लिए खेजड़ली में शहीद हुए थे इसे साको 363  और खेजड़ली नरसंहार  के रूप में भी याद किया जाता है यह विश्व भर में वृक्षों को बचाने के लिए अद्वितीय और सर्वोच्च बलिदान है। 2. बिश्नोई टाइगर फोर्स वन्यजीवों के संरक्षण के लिए बिश्नोई टाइगर फोर्स संस्था ब

Importance of External Evaluation and Self-Evaluation

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 Hello friends Samprabha is growing up and hopes the same for you. As usual,  Samprabha is going to tell you about one more truth and positive aspect of life. As we all know that arrogance is an indicator of degradation that's why we should give up this demerit as soon as possible. The most popular inventions of the world are the results of continuous efforts and comprehensive evaluation. But a person who is getting failures in his/her life cannot achieve his/her target without self-evaluation because evaluation gives us feedback and that feedback plays a crucial role in the refinement of the process. In daily life usually, we all oppose the persons who give critical responses to our work and lifestyle etc. I am not saying that every person who decries about us is right, but I think we can use that feedback as a suggestion and we can uplift our lifestyle. Some points related to external and self-evaluation 1) we should talk every day with our self at least 15 minutes 2) we sho

How Guardians Can Play an Important Role in Academic Integrity

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Introduction Academic Integrity generally means the adoption of honest practices in the academic world. The term holds importance for elementary school students to research students. Education, in general, aims at the overall development of the students. It aims at enlightening them in a manner that helps them throughout their life. Developing a sense of integrity is also part of it.  Educational Institutes have to play their vital role here. But, when we go deep into defining the scope of the education system, we find parents or guardians a part of it. Education in an informal way starts at home. The development of ethical and moral values happens at home initially. Not only this, common students spend most of the time with their parents or guardians. So, taking this into account, today we are going to discuss the role guardians can play in the development of academic integrity. The Problem Present Corona Pandemic has affected educational practices in a transformative manner like nev